डीएनए हिंदी: कर्नाटक में एक व्यक्ति के खिलाफ घरेलू हिंसा (Domestic Violence) का केस था. पति ने अपनी ही पत्नी पर दूसरे व्यक्ति से अवैध संबंध रखने का आरोप लगा दिया. अपने आरोप साबित करने के लिए उसने मोबाइल कॉल डिटेल (Call Detail) और लोकेशन निकलवाने की मांग की थी. फैमिली कोर्ट ने साल 2019 में ये जानकारी निकालने का आदेश भी दे दिया था. अब कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) ने इस फैसले को पलट दिया है और कहा है कि बिना किसी की मर्जी के उसके फोन की कॉल डिटेल या लोकेशन जैसी जानकारी नहीं निकाली जा सकती. कोर्ट ने इसे निजता के अधिकार (Right to Privacy) का हनन माना है.
फैमिली कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के जस्टिस नागप्रसन्ना ने कहा, 'किसी व्यक्ति की निजी जानकारी भी उसकी निजता का हिस्सा है. इसे सार्वजनिक करना गोपनीयता का उल्लंघन है.' यह मामला साल 2018 का है. 37 साल की एक महिला ने अपने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा का केस दर्ज करवाया था. पति ने आरोप लगाया कि उसकी पत्नी का अफेयर किसी और व्यक्ति है.
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हाई कोर्ट ने लगाई फैमिली कोर्ट के फैसले पर रोक
अपना दावा साबित करने के लिए व्यक्ति ने कोर्ट में दलील रखी कि अगर उस तीसरे व्यक्ति की कॉल डिटेल और मोबाइल लोकेशन निकाली जाए तो सच सामने आ जाए. फैमिली कोर्ट ने 23 फरवरी, 2019 को मोबाइल सर्विस प्रोवाइडर को आदेश दिया कि वह इस तीसरे व्यक्ति के मोबाइल फोन की जानकारी उपलब्ध कराए. इस तीसरे व्यक्ति ने फैमिली कोर्ट ने इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दे दी.
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हाई कोर्ट ने मामले पर सुनवाई की और फैमिली कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया. जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत देश के नागरिकों को मिले जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार में निजता का अधिकार भी शामिल है. हर नागरिक का अधिकार है कि वह अपनी, अपने परिवार की, अपने पति या पत्नी की और अपने पार्टनर की निजता का ध्यान रखे और उसकी रक्षा करे.
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पति अपनी बीवी के मोबाइल की डिटेल मांग सकता है या नहीं? जानिए हाई कोर्ट ने क्या कहा