राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े और बिहार में बीजेपी (BJP) के बड़े नेताओं में शुमार कामेश्वर चौपाल (Kameshwar Choupal) का निधन हो गया है. उन्हें बिहार बीजेपी के बड़े दलित नेताओं में शुमार किया जाता था. उन्हें पहला कारसेवक होने का भी दर्जा दिया गया था. पिछले कुछ वक्त से बीमार चल रहे थे और दिल्ली के एम्स में उन्होंने आखिरी सांस ली. जानें कामेश्वर चौपाल का राजनीतिक सफर और राम जन्मभूमि आंदोलन में उनकी क्या भूमिका थी.
खुद को बताते थे श्रीराम का रिश्तेदार
कामेश्वर प्रसाद राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख चेहरे में से थे. उन्होंने ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पहली ईंट रखी थी. उनका कहना था कि मिथिला में किसी भी जोड़े का विवाह होता है तो उसे राम सीता के रूप में देखा जाता है. सीता माता का मायका मिथिला है और यही परंपरा सदियों से चली आ रही है. वह बीजेपी और संघ दोनों के लिए हिंदुत्व के प्रमुख दलित चेहरा के तौर पर थे. राम जन्मभूमि आंदोलन में भी उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था और उन्हें प्रथम कारसेवक का दर्जा दिया गया है. वह राम मंदिर ट्रस्ट के आजीवन सदस्य के तौर पर भी शामिल किए गए थे.
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चुनावी सफलता नहीं मिली, लेकिन पार्टी का अहम चेहरा रहे
कामेश्वर चौपाल के राजनीतिक करियर की बात करें, तो उन्हें चुनावी सफलता नहीं मिल पाई थी. इसके बावजूद पार्टी और संघ का उन पर भरोसा हमेशा बना रहा था. 1991 में लोक जनशक्ति पार्टी के दिवंगत नेता रामविलास पासवान के खिलाफ वह बेगूसराय के बखरी से चुनाव लड़े थे, लेकिन जीत नहीं पाए. सुपौल लोकसभा सीट से भी उन्होंने चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नहीं मिली थी. साल 2002 में उन्हें बिहार विधान परिषद का सदस्य बनाया गया था. 2014 में भाजपा ने उन्हें पप्पू यादव की पत्नी रंजीता रंजन के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन वहां भी उन्हें हार से ही संतोष करना पड़ा.
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कामेश्वर चौपाल
Ayodhya में Ram Mandir की पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल का निधन, जानें आंदोलन में क्या थी भूमिका