डीएनए हिंदी: उत्तराखंड के जोशीमठ में 700 से ज्यादा घरों में गहरी दरारें पड़ गई हैं. कई इलाकों में जमीन के धंसने की रफ्तार तेज हो गई है. डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी उन दरारों की निगरानी कर रही है, जहां आपदा की स्थिति ज्यादा गंभीर है. आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा है कि नए क्षेत्रों में दरारें विकसित नहीं हुई हैं, लेकिन कुछ जगहों पर ऐसी स्थितियां नजर आई हैं. उन्होंने कहा कि लगभग 1 मिमी की दरारों में मामूली इजाफा हुआ है. अधिकारी हर गतिविधि पर नजर बनाए हुए हैं. रविवार को जोशीमठ में क्षतिग्रस्त होटल मलारी इन को हटाने का काम चला. तोड़फोड़ की सूचना मिलने के बाद बुधवार को होटल मालिक धरने पर बैठ गए. लोगों का निवेश दांव पर है, इसलिए व्यापक विरोध प्रदर्शन भी चल रहे हैं. जोशीमठ को बचाने के लिए सरकार को ऐसे कदम उठाने पड़े हैं.
जोशीमठ में रविवार को जोशीमठ-औली रोपवे के शुरू होने वाली जगहों पर दरारें और चौड़ी हो गईं जबकि इससे कुछ मीटर दूर स्थित दो अन्य बडे़ होटलों के भी एक दूसरे पर झुकने की रफतार तेज हो गई है. इस बीच, नगर के मारवाडी क्षेत्र में स्थित जेपी कॉलोनी में संभवत: किसी भूमिगत जलधारा से हो रहे पानी के रिसाव में कमी आने के दो दिन बाद फिर इसमें बढोत्तरी देखी गई है. दो जनवरी से इसमें से लगातार मटमैला पानी निकल रहा है. हालांकि, विशेषज्ञ इसके स्रोत के बारे में अभी कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं है.
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कैसी है जोशीमठ में आम लोगों की जिंदगी?
जोशीमठ में करीब 700 परिवारों को राहत शिविरों में शिफ्ट किया गया है. हर परिवार को एक रूम अलॉट हुआ है. लोगों को कड़ी मुश्किलों में जूझना पड़ रहा है. घरों को खाली करा लिया गया है. दरारें के गहराने की वजह से वहां रहना अब खतरे से खाली नहीं है. लोग कभी होटल तो कभी अपने घरों की ओर दौड़ लगा रहे हैं. लोगों को अब भी उम्मीद है कि वे अपने घर लौट सकेंगे, दरारें थम जाएंगी. जोशीमठ में लोग डरे हुए हैं.
पानी के रिसाव पर वैज्ञानिकों की नजर?
स्थिति का जायजा लेने के लिए जोशीमठ पहुंचे प्रदेश के आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने कहा कि क्षेत्र में घट-बढ रहे पानी के रिसाव की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है. उधर, भू-धंसाव की वजह से ऊपरी हिस्से में एक दूसरे से खतरनाक रूप से जुड़ गए होटलों 'मलारी इन' और 'होटल माउंट व्यू' के ध्वस्तीकरण की कार्रवाई तीसरे दिन भी जारी रही जबकि असुरक्षित घोषित मकानों के 17 और परिवारों को राहत शिविरों में लाया गया.
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करीब चार किलोमीटर लंबा जोशीमठ-औली रोपवे जहां से शुरू होता है, वह भी डैंजर जोन में आ गया है. इसके निचले हिस्से से तकरीबन आधा किलोमीटर सीधे नीचे जेपी कॉलोनी है, जहां पानी का रिसाव हो रहा है. जेपी कालोनी के ऊपर और नीचे की ओर स्थित सभी संरचनाएं भू-धंसाव की जद में हैं.
स्नो क्रस्ट और होटल कामेट भी गिरने की कगार पर
6,000 फुट पर स्थित जोशीमठ को 9,000 फुट पर स्थित औली स्कीइंग केंद्र से जोड़ने वाले इस रोपवे का पिछले 10 दिनों से संचालन बंद है. इस रोपवे से सटे दो होटल, 'स्नो क्रस्ट' और 'होटल कामेट' भी भू-धंसाव की जद में हैं और एक दूसरे से चिपकने लगे हैं जिसके मद्देनजर एहतियातन दोनों होटलों को खाली कर दिया गया है.
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'स्नो क्रस्ट' के मालिक की बेटी पूजा प्रजापति ने बताया कि उनका होटल दूसरे होटल की ओर झुक रहा है. उन्होंने कहा कि दोनों होटलों के बीच पहले चार फुट का फासला था जो अब घटकर मात्र एक- दो इंच रह गया है. सिंहधार वार्ड में होटल पंचवटी का संचालन करने वाले भुवन चन्द्र उनियाल ने बताया कि शनिवार रात से दरारें और चौड़ी हुई हैं.
प्रधानमंत्री कार्यालय में उपसचिव मंगेश घिल्डियाल ने जोशीमठ पहुंचकर जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्रों का स्थलीय निरीक्षण किया. इस दौरान उन्होंने औली रोपवे से लेकर मनोहरबाग वार्ड में ध्वस्त किए जा रहे होटलों सहित क्षतिग्रस्त मकानों का भी जायजा लिया. उन्होंने जेपी कॉलोनी में हो रहे पानी रिसाव का भी निरीक्षण किया.
मलारी इलाके में नहीं थम रही है पानी की धार
ध्वस्त किए जा रहे होटल 'मलारी इन' की ऊपरी मंजिल में कटर और ड्रिल मशीनों के जरिए दीवारों को तोड़ा जा रहा है. मारवाड़ी क्षेत्र में अज्ञात स्रोत से हो रहा पानी का रिसाव दो दिन तक कम रहने के बाद बढ़कर फिर 240 लीटर प्रति मिनट हो गया. शुरुआत में 550 लीटर प्रति मिनट पानी का रिसाव हो रहा था जो 13 जनवरी को घटकर 190 लीटर प्रति मिनट रह गया था.
राहत शिविरों में रह रहे कितने लोग?
चमोली जिला आपदा प्रबंधन केंद्र से जारी बुलेटिन के अनुसार, दरार वाले मकानों की संख्या रविवार को बढ़कर 826 हो गई है जबकि असुरक्षित क्षेत्र में आने वाले भवनों की संख्या भी बढ़कर 165 हो गई है. रविवार को 17 और परिवारों को अस्थाई राहत शिविरों में लाया गया और अब तक कुल 233 परिवारों के 798 व्यक्तियों को राहत शिविरों में पहुंचाया गया है.
मीडिया से बात नहीं कर सकते बचाव अधिकारी
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) समेत जोशीमठ में काम कर रही अलग-अलग जांच एजेंसियों को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और उत्तराखंड सरकार ने जोशीमठ के संबंध में बिना पूर्वानुमति के मीडिया से बातचीत करने या सोशल मीडिया पर कोई सूचना साझा न करने के निर्देश दिए हैं. ये निर्देश इसरो द्वारा जारी उपग्रह तस्वीरों में जोशीमठ में 27 दिसंबर 2022 से आठ जनवरी 2023 के बीच भू-धंसाव की गति बढने संबंधी जानकारी सामने आने और उससे बढी चिंताओं के बाद आए हैं. प्रदेश के कैबिनेट मंत्री धनसिंह रावत ने भी कहा कि इसरो ने अपनी बेबसाइट पर लगाई गई तस्वीरों को हटा लिया है. (इनपुट: भाषा)
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