लोकसभा चुनाव के लिहाज से उत्तर प्रदेश सभी दलों के लिए महत्वपूर्ण है. यहां 80 सीटों पर होने वाले मतदान को लेकर पार्टियां तैयारी में लगी हैं. कई पार्टियों ने सभी जगह अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं तो वहीं कुछ पार्टियां अभी तक अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर रही है. इस बीच बहुजन समाज पार्टी ने बाहुबली और जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह रेड्डी को मैदान में उतारा है. उनके सामने बीजेपी के कृपाशंकर सिंह हैं और अखिलेश यादव ने इस सीट के लिए कभी बसपा के बड़े नेता रहे बाबू सिंह कुशवाहा को टिकट दिया है. इन तीनों दमदार उम्मीदवार के मैदान में होने से जौनपुर का चुनाव बेहद दिलचस्प होने जा रहा है.
जौनपुर लोकसभा सीट पर अब तक 18 बार चुनाव हो चुके हैं, जिसमें 6 बार कांग्रेस और 6 बार भाजपा-जनसंघ का कब्जा रहा है. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने भी इस सीट बार दो बार जीत हासिल की है. एक बार जनता दल तो वहीं एक बार जनता पार्टी (सेकुलर) के उम्मीदवार को भी यहां की जनता ने संसद तक पहुंचाया है. 1977 और 1980 में यह सीट जनता पार्टी के कब्जे में थी. 1984 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने कमला प्रसाद सिंह को उम्मीदवार घोषित किया था. जिसमें उन्हें जीत मिली थी. 1989 में सीट बीजेपी के कब्जे में चली गई और महाराजा यादवेन्द्र दत्त दुबे यहां से सांसद बने. 1991 मे जनता दल से अर्जुन सिंह यादव, 1996 में बीजेपी से राजकिशोर सिंह, 1998 में समाजवादी पार्टी से पारसनाथ यादव, 1999 में बीजेपी से स्वामी चिन्मयानंद, 2004 में सपा से पारसनाथ, 2009 में बसपा से बाहुबली धनंजय सिंह, 2014 में बीजेपी से कृष्ण प्रताप सिंह और 2019 में बीएसपी से श्याम सिंह यादव सांसद बने थे.
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इस बार कैसा होगा मुकाबला?
राजपूतों के दबदबे वाली इस सीट पर बीजेपी ने कृपाशंकर सिंह को टिकट दिया है. कृपाशंकर सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी. वे महाराष्ट्र में कांग्रेस की विलास राव देशमुख सरकार में गृह राजमंत्री भी रह चुके हैं. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि बीजेपी ने बागी नेता पर भरोसा जताया है. हालांकि जौनपुर के आम लोग उनके नाम पर बहुत खुश नहीं हैं. वहीं, बाहुबली और पूर्व सांसद धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला सिंह रेड्डी को बसपा ने टिकट दिया है. श्रीकला जिला पंचायत अध्यक्ष हैं लेकिन उनका खुद कोई राजनीतिक कद नहीं है. यह भी कहा जा रहा है कि धनंजय की सजा को सहानुभूति में तब्दील करने में अगर वह सफल होती हैं तो उनके लिए यह सीट आसान हो सकती है.
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सपा के टिकट से चुनाव लड़ रहे बाबू सिंह कुशवाहा को लंबा राजनीतिक अनुभव है. कभी मायावती के बेहद करीब रहे बाबू सिंह कुशवाहा पिछले सवा दशक से सियासत में अपने जनाधार से अधिक भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते चर्चा में रहे हैं. बाबू सिंह कुशवाहा सीधे तौर पर सपा से भले अभी जुड़े हों लेकिन नाता पुराना है. 2013 में उनके भाई व पत्नी सपा में शामिल हुए थे. मुलायम ने 2014 में बाबू की पत्नी शिवकन्या को गाजीपुर से लड़ाया भी था लेकिन वह 32 हजार वोटों से भाजपा के मनोज सिन्हा से हार गई थी. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस सीट पर जनता किसको जीत का ताज पहनाती है.
जानिए जातीय समीकरण
जौनपुर लोकसभा सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें बदलापुर, शाहगंज, जौनपुर सदर, मल्हनी और मुंगरा बादशाहपुर सीटें शामिल हैं. इसमें से तीन सीटें एनडीए और दो सीट समाजवादी पार्टी के खाते में हैं. 2019 लोकसभा चुनाव में ब्राह्मण वोटरों की संख्या अधिक होने के बाद भी जौनपुर लोकसभा सीट पर राजपूत वोटरों का दबदबा माना जाता है. इस सीट पर 243810 ब्राह्मण वोटर्स, 231970 अनुसूचित जातियों के वोटर्स, 221254 मुस्लिम वोटर्स और 191184 के आसपास राजपूत वोटर्स थे.
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