डीएनए हिंदी: International Widow Day विधवाओं के अधिकारों के प्रति जागरुकता फैलाने के लिए निर्धारित किया गया था. इसके लिए हर साल 23 जून को खास प्रोग्राम आयोजिक किए जाते हैं. इसकी शुरुआत साल 2011 में हुई थी. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस का ऐलान किया था. तभी से यह दिन इस खास मकसद को समर्पित किया गया. ब्रिटेन की लूंबा फाउंडेशन पूरे विश्व की विधवा महिलाओं पर हो रहे अत्याचार पर बीते 7 सालों से संयुक्त राष्ट्र संघ में अभियान चला रही है.
क्या है इस दिन का मकसद
अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस के पीछे का उद्देश्य है कि पूरी दुनिया में विधवा महिलाओं की स्थिति में सुधार हो सके. ताकि वे भी बाकी लोगों की तरह समान्य जीवन जी सकें और उन्हें बराबरी का हक भी मिल सके. ऐसा इसलिए क्योंकि कहीं न कहीं विधवा महिलाओं वो बराबरी और हक नहीं मिलता जिसकी वे हकदार होती हैं.
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विधवाओं पर होते अत्याचार
विश्व की लाखों विधवाओं को गरीबी, हिंसा, बहिष्कार, बेघर, बीमार, स्वास्थ्य जैसी समस्याएं और कानून व समाज में भेदभाव को झेलना पड़ता है. बताया जाता है कि करीब 115 मिलियन विधवाएं गरीबी में रहने को मजबूर हैं जबकि 81 मिलियन महिलाएं ऐसी हैं जो शारिरिक शोषण का सामना भी कर रही हैं.
विधवा महिलाओं के बच्चों पर भी इसका बुरा असर पड़ता है. कई बार गरीबी के चलते स्कूल छूट जाता है. हिंसी और समाज की दूसरी बुराइयों का सामना करना पड़ता है. खासतौर पर लड़कियों के मामले में. International Widows Day विधवा महिलाओं को उनके हर और इंसाफ दिलाने के मकसद को बढ़ावा देता है.
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International Widow Day: क्यों मनाया जाता है विश्व विधवा दिवस, क्यों पड़ी इसकी जरूरत ?