डीएनए हिंदी: देश में H3N2 वायरस (इन्फ्लूएंजा वायरस) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. आईडीएसपी-आईएचआईपी (इंटीग्रेटेड हेल्थ इन्फॉरमेशन प्लेटफॉर्म) के आंकड़ों के मुताबिक, 9 मार्च तक इंफ्लूएंजा के विभिन्न स्वरूपों के 3,038 मामले सामने आए. जिनमें एच3एन2 के मामले भी शामिल हैं. इन आंकड़ों में जनवरी के 1245 और फरवरी के 1,307 और 9 मार्च तक सामने आए 486 मामले शामिल हैं. अकेले ओडिशा में 59 में इंफ्लूएंजा एच3एन2 के केस सामने आए हैं. मामले की गंभीरता को देखते हुए नीति आयोग ने कोविड वर्किंग ग्रुप, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव और राज्यों के स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ बैठक की.
बैठक के बाद नीति आयोग ने सभी राज्यों को इस वायरस से निपटने के लिए निर्देश दिए. आयोग ने राज्यों से अपने अस्पतालों में ऑक्सीजन उपलब्धता, मेडिकल स्टाफ सुनिश्चित करने को कहा है. साथ ही इस बीमारी से सतर्क रहने के लिए लोगों को जागरुक करने के लिए भी कहा है. नीति आयोग ने कहा कि इन्फ्लूएंजा वायरस से निपटने के लिए हमें कोविड जैसे नियमों का पालन करना होगा. भीड़-भाड़ वाली जगह लोगों से नाक-मुंह ढकने की अपील की गई है. संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें. लक्षण दिखने पर डॉक्टर की सलाह लें. हालांकि, आयोग ने ये भी कहा कि इससे कोई जान का खतरा नहीं है.
सतर्कता और एहतियाती कदम उठाने की जरूरत
भारत में मौसमी इंफ्लूएंजा के उप-स्वरूप एच3एन2 से 2 मरीजों की मौत की पुष्टि के बीच विशेषज्ञों ने कहा है कि इस वायरस से बचाव के लिए सतर्कता बढ़ाने और एहतियाती कदम उठाने की आवश्यकता है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा शुक्रवार को साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, दो जनवरी से पांच मार्च तक देश में एच3एन2 के 451 मामले सामने आए हैं. मंत्रालय ने कहा कि वह स्थिति पर करीबी नजर रखे हुए है और माह के अंत से मामले घटने की उम्मीद है. अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, एच3एन2 एक ऐसा इंफ्लूएंजा वायरस है जो आमतौर पर सूअरों से मनुष्यों में फैलता है.
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इन्फ्लूएंजा के लक्षण मौसमी फ्लू वायरस के समान होते हैं. इसमें बुखार और खांसी एवं बलगम समेत श्वसन संबंधी समस्या के लक्षण दिखाई देते है. इसके अलावा कुछ मरीजों को शरीर में दर्द, मतली, उल्टी या दस्त सहित अन्य समस्याएं भी होती हैं. कुछ लोगों को आशंका है कि यह कहीं कोविड की तरह एक और संक्रमण नहीं हो, लेकिन पल्मोनोलॉजिस्ट अनुराग अग्रवाल ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इसकी कोई बड़ी लहर आएगी. अपोलो हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन विभाग में वरिष्ठ सलाहकार तरुण साहनी ने कहा, ‘अस्पताल में भर्ती होना बहुत आम नहीं है और केवल पांच प्रतिशत मरीजों के ही अस्पताल में भर्ती होने की सूचना मिली है.’ साहनी ने कहा कि अभी घबराने की आवश्यकता नहीं है और कोविड के समय की तरह की सावधानी बरतने की जरूरत है.
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देश में तेजी से बढ़ रहा H3N2 का खतरा, नीति आयोग का राज्यों को निर्देश- ऑक्सीजन रखें तैयार