डीएनए हिंदी: जिस फौजी के कंधों पर देश की सीमाओं को दुश्मन के नापाक कब्जे से बचाने की जिम्मेदारी है, उसकी अपनी संपत्ति को भूमाफियाओं ने कब्जा लिया. अब फौजी को अपने हक के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है. ग्वालियर में जिला प्रशासन की जनसुनवाई में नायब सूबेदार का यह दर्द सुनकर अफसर भी हैरान रह गए. फौजी ने कहा, मैं देश की सीमा पर दुश्मन से लड़ूं या भूमाफिया से. दबंग के कब्जे में फंसे प्लॉट का न पैसा वापस मिल रहा है और ना ही जमीन. ऊपर से भुगत लेने की धमकी मिल रही है. एडिशनल कलेक्टर ने इस मामले में तत्काल कार्रवाई के आदेश तहसीलदार को दिए हैं.
भाजपा नेता के भतीजे ने दिलवाया था प्लॉट
राजस्थान के धौलपुर निवासी नायब सूबेदार विजय सिंह परमार की ड्यूटी भारतीय सेना में सिक्किम से सटी LAC पर है. उनका परिवार ग्वालियर के आर्मी कैंट एरिया के पास बड़ागांव में रहता है. विजय सिंह ने ग्वालियर को ही परमानेंट ठिकाना बनाने का सपना देखा और प्लॉट खरीदने की तैयारी कर ली. विजय सिंह के मुताबिक, दिसंबर, 2020 में एक दोस्त के जरिये उनकी मुलाकात रवि कुशवाह से हुई, जो खुद को भाजपा नेता डॉ. राजकुमार कुशवाह का भतीजा बताता है. डॉ. राजकुमार कुशवाह इस समय मध्य प्रदेश सरकार में बीज निगम के उपाध्यक्ष के तौर पर दर्जाप्राप्त राज्यमंत्री हैं. रवि ने उन्हें बेहटा पुल के पास 17 लाख रुपये में एक प्लॉट दिलाया, जिसका पैसा विजय ने उसी समय दे दिया. हालांकि तब उन्हें कब्जा नहीं मिल पाया. छुट्टी खत्म होने के चलते वह वापस ड्यूटी पर चले गए.
न प्लॉट पर कब्जा मिला और न वापस मिले रुपये
विजय के मुताबिक, यह प्लॉट उन्होंने रवि के जरिये किसान भारत मंडेलिया से खरीदा था, लेकिन इस पर बिल्डर विशाल यादव ने कब्जा कर लिया. विशाल ने उन्हें कब्जा नहीं दिया और कहा कि यह प्लॉट अब फॉर्म-4 कॉलोनी में आ गया है. विजय ने कहा कि विशाल ने 9 लाख रुपये और मांगे. वह रुपये देने को तैयार हो गए तो विशाल ने 27 लाख रुपये में प्लॉट उसे ही बेच देने के लिए कहा. विजय के मुताबिक, वह इसके लिए भी तैयार हो गए, लेकिन बिल्डर विशाल ने न तो प्लॉट पर कब्जा लेने दिया और न ही रुपये दिए.
बॉर्डर ड्यूटी से बार-बार छुट्टी लेकर कैसे लड़ें माफिया से
मंगलवार को इंडियन वेटरन्स ऑर्गेनाइजेशन (IVO) के सदस्यों के साथ ग्वालियर कलेक्टर और एसएसपी से मिलने के लिए जनसुनवाई में पहुंचे. वहां उन्होंने कहा, बार-बार बॉर्डर ड्यूटी से छुट्टी लेकर वह भूमाफिया से लड़ रहे हैं, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है. न रुपया वापस मिल रहा है और न ही प्लॉट दिया जा रहा है. सीमा पर रात-दिन ड्यूटी करके प्लॉट खरीदा था. कब्जा नहीं मिलने से पूरा परिवार मानसिक प्रताड़ना से गुजर रहा है. जनसुनवाई में कलेक्टर की जगह शिकायत सुन रहे एडिशनल कलेक्टर आशीष तिवारी ने मामले की तत्काल जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने कहा कि सैनिक को उसका हक दिलाया जाएगा.
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देश के लिए सीमा पर लड़ूं या अपनी जमीन बचाऊं? दबंग से त्रस्त फौजी ने कलेक्टर से सबके सामने पूछा