डीएनए हिंदी: दुनिया की सेनाएं तेजी से आधुनिकीकरण कर रही हैं. ड्रोन (Drone) का इस्तेमाल इसमें काफी अहम है. निगरानी रखने, संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने और हमले करने के लिए भी अब ड्रोन का इस्तेमाल होने लगा है. बीते कुछ महीनों से पाकिस्तान और चीन की ओर से ड्रोन का भरपूर इस्तेमाल किया जा रहा है. पाकिस्तान तो ड्रोन का इस्तेमाल नशीली चीजों की सप्लाई तक में कर रहा है. यूक्रेन में कमिकेज कैटगरी (Kamikaze Drone) के शाहेद ड्रोन (Shahed Drone) से हमले के बाद भारतीय सेना भी अलर्ट पर है. ऐसे में भारतीय सेना (Indian Army) भी ड्रोन में निवेश की योजना बना रही है. भारतीय सेना जल्द ही सैकड़ों ड्रोन खरीदने की तैयारी में है, ताकि इनका इस्तेमाल चीन से लगी सीमा पर किया जा सके. आपको बता दें कि चीन जैसे पड़ोसी देश हमेशा से भारत के लिए खतरा बने हुए हैं.
आर्मी ने सोमवार को 363 ड्रोन खरीदने का टेंडर जारी किया है, ताकि चीन की सीमा पर इन्हें तैनात किया जा सके. इनफैन्ट्री ने ड्रोन खरीदने के लिए जो रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) दिया है उसमें कहा गया है कि ज्यादा ऊंचाई वाले 163 लॉजिस्टिक ड्रोन और मीडियम ऊंचाई पर उड़ सकने वाले 163 ड्रोन की ज़रूरत है. शर्त रखी गई है कि इन ड्रोन का वजन 100 किलोग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए. साथ ही, ये ड्रोन तेज हवाओं को भी झेलने में सक्षम होने चाहिए. इस टेंडर के लिए 11 नवंबर तक निविदाएं मांगी गई हैं.
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10 किलोमीटर रेंज वाला ड्रोन खरीदेगी आर्मी
अधिकारियों का कहना है, 'ऐसे ड्रोन सेना के पास आ जाने से सामान ढोने वाले सैनिकों या पोर्टर या खच्चर जैसे जानवरों की ज़रूरत नहीं पड़ेगी जिनकी मदद से पहाड़ों पर ज़रूरी चीजें या हथियार ले जाए जाते हैं. इन ड्रोन की रेंज लगभग 10 किलोमीटर और समय सीमा कम से कम 40 मिनट होनी चाहिए. साथ ही, ये कम से कम 1,000 बार लैंडिंग करने में भी सक्षम होने चाहिए. ज़रूरत पड़ने पर और ड्रोन खरीदे जाएंगे.'
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आर्मी की ज़रूरत के हिसाब से, ज्यादा ऊंचाई वाले इन ड्रोन का पेलोड वजन कम से कम 15 किलो होना चाहिए. वहीं, कम ऊंचाई वाले ड्रोन का पेलोड वजन 20 किलो तक हो सकता है. आपको बता दें कि आर्मी ने हाल ही में 80 मिनी रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (RAPS), 10 रनवे-इनडिपेंडेंट RPAS, 44 अपग्रेडेड लॉन्ग रेंज सर्विलांस सिस्टम और 106 इनर्शियल नैविगेशन सिस्टम खरीदने की तैयारी शुरू कर दी है.
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