डीएनए हिंदी: सीमा पार से आने वाले आतंकियों की गतिविधियां लगातार नाकामी के बावजूद कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. अब सेना के जवानों ने पाकिस्तान में ट्रेनिंग लेने के बाद एलओसी पार करके भारत आने की कोशिश करने वाले लश्कर-ए-तैयबा के एक गाइड को गिरफ्तार किया है. सेना का मानना है कि तबरीक हुसैन नाम का यह आतंकी भारत में आत्मघाती हमला करने की फिराक में था. सेना के अधिकारियों का कहना है कि तबरीक को अच्छे से ट्रेनिंग दी गई है वह कुछ सालों तक पाकिस्तानी सेना के खुफिया विभाग के लिए भी काम कर चुका है.
जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले में एलओसी के पास सेना के जवानों ने तबरीक हुसैन को गोली मार घायल किया, फिर उसे गिरफ्तार किया. बताया गया है कि तबरीक पाकिस्तान सेना की खुफिया इकाई के लिए भी काम कर चुका है. अधिकारियों ने बताया कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के सब्जकोट गांव का निवासी 32 वर्षीय तबरीक हुसैन जब एलओसी पार करने की कोशिश कर रहा था तो उसे गिरफ्तार कर लिया गया. अधिकारियों के मुताबिक, तबरीक को पिछले छह सालों में दूसरी बार गिरफ्तार किया गया है.
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छह साल में दूसरी बार पकड़ा गया तबरीक हुसैन
उन्होंने बताया कि पिछली बार तबरीक और उसका भाई 26 महीने तक सलाखों के पीछे था और उसके बाद उन्हें अमृतसर में अटारी-वाघा बॉर्डर से पाकिस्तान भेज दिया गया था. इस बार उसकी योजना फिदायीन हमला करने की थी. जब सेना ने उसे घायल हालत में गिरफ्तार किया तो वह चिल्लाया, 'मैं मरने के लिए आया था, मुझे धोखा दे दिया. भाईजान मुझे यहां से निकालो.'
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अधिकारियों ने बताया कि उसके निजी अंगों और बगल के बाल साफ किए हुए हैं जो आतंकवादी तब करते हैं जब वे आत्मघाती मिशन पर होते हैं. इससे पहले राजौरी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मोहम्मद असलम ने बताया था कि नौशेरा सेक्टर के सहर मकरी क्षेत्र में नियंत्रण रेखा की पहरेदारी कर रहे सेना के जवानों को किसी घुसपैठिये की संदिग्ध गतिविधि नजर आई और उन्होंने उसे ललकारा, तब वह भागने लगा. असलम ने बताया, 'घुसपैठिये पर गोली चलाई गई, जिसमें वह घायल हो गया और उसे पकड़ लिया गया. उसका स्थानीय सैन्य अस्पताल में उपचार कराया गया और अब उसे राजौरी में सेना के अस्पताल ले जाया गया है.'
2016 में दोनों भाई हुए थे गिरफ्तार
उन्होंने कहा कि उस पर इलाज का असर हो रहा है. पुलिस के अनुसार अप्रैल, 2016 में कालदियो-सब्जकोट से हुसैन और उसके 15 वर्षीय भाई को तीन अन्य आतंकवादियों- मोहम्मद काफिल, मोहम्मद अली और यासिन को वापस भेजा गया था. पुलिस का कहना है कि उनके पास हथियारों का जखीरा था और उनकी भारतीय सेना की अग्रिम चौकियों के पास विस्फोटक लगाने की योजना थी. पुलिस के मुताबिक उस साल 25 अप्रैल को पांचों नौशेरा सेक्टर के झांगर में घुसपैठ का प्रयास कर रहे थे लेकिन काफिल, अली और यासिन भाग गए जबकि ये दोनों भाई गिरफ्तार कर लिए गए.
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पुलिस का कहना है कि 16 दिसंबर, 2019 को हुसैन के दूसरे भाई मोहम्मद सईद को भी सेना ने उसी इलाके में पकड़ा था जहां सुबह उसे पकड़ा गया था. तब वह ड्रग्स के नशे में था, उसे जेल में डाल दिया गया और कुछ समय बाद पाकिस्तान भेज दिया गया. अधिकारियों के मुताबिक हुसैन करीब दो साल पाकिस्तानी सेना की खुफिया शाखा के लिए भी काम कर चुका है.
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पाकिस्तान से ट्रेनिंग लेकर आत्मघाती हमला करने आ रहा था लश्कर का आतंकी, सेना ने LOC पर दबोचा