केरल हाई कोर्ट (kerala High Court) ने 2007 में महिला कलाकार के कथित यौन उत्पीड़न के मामले में अभिनेता और निर्देशक बालचंद्र मेनन को अग्रिम जमानत दे दी है. जस्टिस पीवी कुन्हीकृष्णन ने फैसला सुनाते हुए कहा कि न्याय केवल महिलाओं तक सीमित नहीं है, पुरुषों की गरिमा और गौरव भी महत्वपूर्ण हैं. पद्मश्री से सम्मानित बालचंद्र मेनन ने इस मामले को अपने करियर और छवि के खिलाफ साजिश करार दिया है.
हेमा कमेटी की रिपोर्ट में खुलासा
गौरतलब है कि, यह मामला सितंबर 2024 में दर्ज किया गया था, जब न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट ने इसे उजागर किया. मेनन पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने 2007 में एक महिला कलाकार के साथ गलत व्यवहार किया था. हालांकि, अभिनेता ने अदालत में अपनी याचिका में कहा कि यह शिकायत 17 साल बाद दर्ज की गई है और इसका उद्देश्य उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना है.
पीड़िता की शिकायत में देरी
अदालत ने यह माना कि शिकायत में काफी देरी हुई है, जो आरोपी की दलील को मजबूत बनाती है. बता दें मेनन 40 से अधिक फिल्मों का निर्देशन किया है और दो राष्ट्रीय पुरस्कार हासिल किए हैं. जस्टिस कुन्हीकृष्णन ने कहा, 'यह घटना 17 साल बाद दर्ज किया गया है. कोर्ट ने आगे कहा कि यह मामला केवल महिला के बयान पर आधारित है.
अग्रिम जमानत के आदेश और शर्तें
अदालत ने निर्देश दिया कि मेनन दो सप्ताह के भीतर जांच अधिकारी के समक्ष पेश हों. यदि गिरफ्तारी की आवश्यकता होती है, तो उन्हें 50,000 रुपये के मुचलके और दो जमानतदारों पर रिहा किया जाएगा. अदालत ने यह भी आदेश दिया कि अभिनेता जांच में सहयोग करें और किसी गवाह को प्रभावित करने की कोशिश न करें. न्यायालय ने यह टिप्पणी भी की कि पुरुषों की गरिमा और अधिकारों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए. बहरहाल,पद्मश्री से सम्मानित
बालचंद्र मेनन ने इस मामले को अपने करियर और छवि के खिलाफ साजिश करार दिया है. अब आगे देखना होगा कि जांच में क्या निष्कर्ष निकलते हैं.
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Kerala: 17 साल पुराने मामले में केरल हाईकोर्ट ने दिया बड़ा फैसला, कहा 'पुरुषों की भी होती है गरिमा', जानिए पूरी बात