ICMR Research on Sudden Deaths: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा किए गए एक स्टडी में यह सामने आया है कि कोरोना वैक्सीन लेगवाने से भारत में युवाओं और वयस्कों में अचानक मौतों का खतरा नहीं बढ़ रहा है. उन्होंने आगे कहा कि ICMR के अध्ययन से यह साफ हुआ है कि वैक्सीनेशन से इस तरह की मौतों की संभावना कम हो जाती है. इस अध्ययन का उद्देश्य यह संदेह दूर करना था कि पिछले कुछ सालों में कोरोना टीकाकरण के बाद युवाओं और वयस्कों की असामयिक मृत्यु का कोई संबंध था.
रिसर्च के दौरान क्या किया गया?
ICMR ने 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 47 अस्पतालों में यह रिसर्च की. इसमें 18-45 वर्ष की उम्र के स्वस्थ व्यक्तियों को शामिल किया गया, जिनकी अचानक मृत्यु हो गई थी. अध्ययन के दौरान 729 मामलों को सैंपल के रूप में लिया गया, जिनकी अप्रत्याशित मौत हो गई थी, जबकि 2916 मामलों को बचाया गया था, जिन्हें हार्ट अटैक के बाद पुनर्जीवित किया गया था. इस अध्ययन में यह पाया गया कि कोविड-19 वैक्सीन की एक या दो खुराक लेने से अचानक मृत्यु के जोखिम में कमी आई है.
अचानक मौतों के जोखिम का क्या कारण
अधिकारियों ने अध्ययन के दौरान यह भी पाया कि कुछ विशेष कारण अचानक मौतों के जोखिम को बढ़ाते हैं. इनमें अस्पताल में कोविड-19 का इलाज कराना, परिवार में किसी और की अचानक मृत्यु का इतिहास, अत्यधिक शराब का सेवन, ड्रग्स का इस्तेमाल और मृत्यु से पहले अत्यधिक शारीरिक गतिविधि (जैसे जिम में अत्यधिक व्यायाम) शामिल हैं.
स्वास्थ्य मंत्री ने क्या कहा?
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी बताया कि ICMR के अध्ययन ने यह साफ किया है कि कोविड-19 वैक्सीनेशन और अचानक मौतों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है. इसके बजाय, कोविड-19 का इलाज, परिवार में आकस्मिक मौतों का इतिहास और जीवनशैली से जुड़े फैक्टर्स ऐसे जोखिमों को बढ़ाते हैं. उन्होंने बताया कि वैक्सीनेशन के साइड इफेक्ट्स पर निगरानी रखने के लिए एक मजबूत सिस्टम स्थापित किया गया है, जिसका नाम 'एडवर्स इवेंट फॉलोविंग इम्यूनाइजेशन' (AEFI) है. इसके अंतर्गत, सभी टीकाकरण केंद्रों पर आवश्यक किट उपलब्ध हैं और टीकाकरण के बाद 30 मिनट के लिए निगरानी रखना अनिवार्य है.
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कोविड वैक्सीनेशन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
इससे पहले, कोविड वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी मामला पहुंच चुका था. अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वैक्सीन से जुड़े साइड इफेक्ट्स के आरोपों को खारिज कर दिया था. इसके बाद, एस्ट्राजेनेका कंपनी ने भी अपनी वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स के बारे में ब्रिटिश कोर्ट में स्वीकार किया था, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि ये साइड इफेक्ट्स बेहद दुर्लभ मामलों में ही होते हैं.
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