भारतीय संविधान के 75 साल पूरे होने पर राज्यसभा में चर्चा में भाग लेते हुए केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने आपातकाल के दौरान क्या हुआ था और तब की स्थितियां क्या थीं. इन सभी विषयों पर बोलते हुए कहा कि तब मैं छोटा था. अगर मेरी उम्र होती है तो मैं पूरे 19 महीने जेल रहना पसंद करता.
क्या हुआ था आपातकाल में?
अमित शाह ने बताया कि आपातकाल में क्या हुआ था. उन्होंने बताया कि लाखों लोगों को बिना अपराध के जेल में ढूंस दिया गया. न्यायालय में डर का माहौल. मीडिया पर सेंसरशिप. ये सबकुछ क्यों किया गया था. सिर्फ इसलिए कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंदिरा गांधी के निर्वाचन को अवैध घोषित कर दिया था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्वाचन अमान्य कर दिया और उन्होंने प्रधानमंत्री पद की न्यायिक जांच पर भी संशोधन से रोक लगा दिया. उन्होंने कहा कि तब मैं छोटा था. मेरी आयु नहीं थी जेल जाने वाली. अगर होती तो मैं पूरे 19 महीने जेल में रहकर आता. इन्होंने इमरजेंसी में विधानसभाओं का कार्यकाल ही बढ़ाकर पांच से छह साल कर दिया कि चुनाव हुए तो हार जाएंगे. विपक्ष के सदस्यों ने इस पर हंगामा कर दिया. गृह मंत्री शाह ने कहा कि खड़गे जी आपने किया है तो सुनना पड़ेगा. हिम्मत रखिए सुनने की.
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'संविधान लहराने का मुद्दा नहीं, विश्वास का विषय'
अमित शाह ने कहा कि संविधान का सम्मान सिर्फ बातों में नहीं, कृति में भी होना चाहिए. इस चुनाव में अजीबोगरीब नजारा देखा. किसी ने आम सभा में संविधान को लहराया नहीं. संविधान लहराकर, झूठ बोलकर जनादेश लेने का कुत्सित प्रयास कांग्रेस के नेताओं ने किया. संविधान लहराने का विषय नहीं है, संविधान तो विश्वास का विषय है, श्रद्धा का विषय है. लोकसभा में किसी को मालूम नहीं था, जागरुकता नहीं थी. महाराष्ट्र चुनाव में संविधान बांटे गए. एक पत्रकार के हाथ में आ गया. कोरा था. प्रस्तावना तक नहीं थी. 75 साल के इतिहास में संविधान के नाम पर इतना बड़ा छल हमने नहीं देखा है, न सुना है. हार का कारण ढूंढ़ते हैं, बता दूं कि लोग जान गए कि संविधान की प्रति फर्जी लेकर घूमते हो तो लोगों ने हरा दिया.
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'मैं छोटा था, जेल नहीं जा सका', इमरजेंसी पर शाह ने कांग्रेस को घेरा, कहा-संविधान लहराने का नहीं, विश्वास का विषय