डीएनए हिंदी: कश्मीर में विस्थापित कश्मीरी पंडितों, सरकारी कर्मचारियों और अन्य नागरिकों की समस्या काफी पुरानी है. लंबे समय से प्रयास किए जा रहे हैं कि इन लोगों को फिर से कश्मीर में बसाया जाए. इसी से जुड़े एक सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने संसद में जवाब दिया है. केंद्र सरकार ने बताया है कि जम्मू-कश्मीर में हालात सुधरने के साथ ही लोग लौटने लगे हैं. सरकार के मुताबिक, इन लोगों के लिए सरकार की ओर से फ्लैट भी बनाए जा रहे हैं. सरकार ने संसद में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा है कि पिछले 3 सालों में 880 फ्लैट तैयार भी हो गए हैं.
केंद्रीय गृह-राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा को बताया, 'कश्मीर घाटी में सुरक्षा के हालात में सुधार की वजह से सरकार ने 6000 ट्रांजिट हाउस बनाने का काम शुरू किया है. ये घर उन कश्मीरी प्रवासियों के लिए बनाए जा रहे हैं जो घाटी में लौट रहे हैं. पिछले 3 सालों में इस तरह के 880 फ्लैट बनाकर तैयार भी किए जा चुके हैं.' बता दें कि ट्रांजिट हाउस बारामुला, बांदीपोरा, गांदरबल और शोपियां में बनाए जा रहे हैं.
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"...Due to improved security scenario in Kashmir Valley,the Government has taken up the project of construction of 6,000 Transit Accommodations for the Kashmiri Migrant Employees returning to Kashmir Valley. 880 flats have been constructed in the last 3 years": MoS Home Nityanand…
— ANI (@ANI) August 2, 2023
कौन हैं कश्मीरी प्रवासी सरकारी कर्मचारी?
दरअसल, कश्मीर घाटी में 1990 में हुई हिंसा के चलते हजारों लोगों को घाटी छोड़नी पड़ी थी. इसमें से ज्यादातर लोग कश्मीरी पंडित थे. बाद में केंद्र सरकार ने इन कश्मीरी पंडितों को वापस बसाने के लिए प्रधानमंत्री पुनर्वास योजना के तहत सरकारी नौकरी देनी शुरू की. इन नौकरियों के तहत आए लोगों को काफी दिनों तक शेयरिंग वाले रूम और खराब सुविधाओं के साथ रहना पड़ता था. इसी को ध्यान में रखते हुए ट्रांजिट हाउस योजना शुरू की गई.
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अप्रैल 2022 में जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने इसी तरह के 576 ट्रांजिट फ्लैट्स का उद्घाटन भी किया था. तब उन्होंने ऐलान किया था कि दिसंबर 2023 तक 2000 और फ्लैट तैयार हो जाएंगे. हालांकि, उनके वादे के हिसाब से रफ्तार थोड़ी धीमी दिख रही है और अभी तक कुल 880 फ्लैट ही तैयार हो पाए हैं. दूसरी तरफ कश्मीरी पंडितों के संगठनों का कहना है कि सरकार के ये प्रवास उनके घाटी में लौटने के लिए पर्याप्त नहीं हैं.
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कितने कश्मीरी पंडितों को घाटी में मिला घर, मोदी सरकार ने संसद में दिया जवाब