डीएनए हिंदी: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के कुछ जिलों में AFSPA को छह महीने के लिए बढ़ा दिया है. गृह मंत्रालय (Home Ministry) ने इन दोनों राज्यों की कानून व्यवस्था की समीक्षा के बाद यह फैसला लिया है. इस कानून के तहत सुरक्षा बलों को कुछ विशेषाधिकार मिलते हैं. देश के अलग-अलग हिस्सों में AFSPA के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए कई बार प्रदर्शन भी हुए हैं. समय-समय पर इस कानून के क्षेत्र को कम या ज्यादा किया जाता है. कई क्षेत्र ऐसे भी हैं जहां पहले यह कानून लागू था लेकिन अब वहां से इसे हटा लिया गया है.
गृह मंत्रालय ने अपनी अधिसूचना में अरुणाचल प्रदेश को लेकर कहा कि पूरे राज्य में कानून व्यवस्था की समीक्षा की गई है. इसके बाद अरुणाचल प्रदेश के तिरप, चांगलांग और लांगडिंग जिलों के साथ-साथ असम राज्य की सीमा से लगे नमसई जिले में नामसई और महादेवपुर पुलिस थानों के अधिकार क्षेत्र के भीतर आने वाले क्षेत्रों में AFSPA लागू किया गया है. सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम यानी AFSPA, 1958 की धारा 3 के तहत 1 अक्टूबर 2022 से अगले 6 महीने तक के लिए इन क्षेत्रों को अशांत घोषित किया जाता है.
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अशांत क्षेत्रों में जारी रहेगा AFSPA
नागालैंड को लेकर कहा गया है कि पूरे नागालैंड राज्य में कानून और व्यवस्था की समीक्षा की गई है. इसलिए अब नागालैंड राज्य में दिमापुर, निउलैंड, चुमुकेदिमा, मोन, किफिरे, नोकलाक, फेक, पेरेन और जुनहेबोटो जिलों और कोहिमा जिले में खुजामा, कोहिमा उत्तर, कोहिमा दक्षिण, जुबजा और केजोचा पुलिस थाने, इसके अलावा मोकोकचुंग जिले में मांगकोलेंबा, मोकोकचुंग-लोंगथो, तुली, लोंगचेम और अनाकी सी पुलिस थाने और लोंगलेंग जिले में यांगलोक पुलिस थाना और वोखा जिले में भंडारी, चांमपांग, रालान और सुंगरो पुलिस थाने के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों को में अगले छह महीने के लिए AFSPA लागू किया जा रहा है.
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Centre has extended Armed Forces(Special Powers) Act, 1958 for 6 months from today in Tirap, Changlang and Longding dist in Arunachal Pradesh (AP) and areas falling within the jurisdiction of Namsai &Mahadevpur PS in Namsai dist of AP as they are declared as ‘disturbed area': MHA
— ANI (@ANI) October 1, 2022
क्या है AFSPA और इससे जुड़ा विवाद?
गौरतलब है कि AFSPA के तहत सुरक्षा बलों को इन इलाकों में कहीं भी अभियान चलाने और किसी को भी बिना वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार रहता है. सूत्रों के मुताबिक दोनों राज्यों के इन क्षेत्रों में हत्या, लूट और फिरौती के मामलों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है. नक्सल प्रभावित इलाकों, संवेदनशील इलाकों और सीमा से सटे राज्यों में लंबे समय से AFSPA लगाया जाता रहा है.
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जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर के कई राज्यों में इस कानून को लेकर लगातार सवाल भी उठे हैं. मानवाधिकार समूहों और स्थानीय लोगों ने कई बार आरोप लगाए हैं कि इस कानून का दुरुपयोग करके आम लोगों को उत्पीड़न किया गया है. कुछ जगहों पर महिलाओं का रेप किए जाने के मामले भी सामने आए हैं. यही वजह है कि मणिपुर और कश्मीर जैसे क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर विरोध प्रदर्शन भी हो चुके हैं.
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नागालैंड और अरुणाचल में लागू रहेगा AFSPA, जानिए क्या है इससे जुड़ा विवाद