त्रिपुरा में एचआईवी AIDS के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. राज्य में अब तक 800 से ज्यादा छात्र HIV से संक्रमित हो चुके हैं. त्रिपुरा राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी (TSSES) के अधिकारी के मुताबिक, एचआईवी के कारण अब तक 47 लोगों की मौत हो गई. आकंड़े सामने आने के बाद राज्य में हड़कंप मचा हुआ है. हालांकि, त्रिपुरा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने सफाई देते हुए कहा कि यह आंकड़े अप्रैल 2007 से 2024 के बीच के हैं.
टीएसएसईएस के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 828 छात्रों में HIV-AIDS के संक्रमणों की पुष्टि हुई. इनमें से 47 छात्रों की मौत हो चुकी है. जिसके बाद संक्रमित छात्रों की संख्या 781 रह गई थी. अधिकारियों ने बताया कि त्रिपुरा में हर दिन 5-7 नए मरीज सामने आ रहे हैं. इसी के चलते राज्य में संक्रमित छात्रों की संख्या बढ़कर 800 हो गई है. TSSES ने कहा कि राज्य के स्कूल-कॉलेजों में ज्यादातर छात्र पॉजिटिव पाए गए हैं.
220 स्कूल और 24 कॉलेज की गई पहचान
ऐसे में सवाल यह उठ रहे हैं कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा AIDS के बचाव के लिए करोड़ों रुपये के जागरुकता अभियान चलाए जाते हैं, फिर भी त्रिपुरा में इतने मामले कैसे बढ़ गए. टीएसएसीएस का दावा है कि त्रिपुरा के लगभग 220 स्कूल और 24 कॉलेज-यूनिवर्सिटीज में ऐसे छात्रों की पहचान की गई है, जो इंजेक्शन से ड्रग्स लेते हैं. एक ही सुई इस्तेमाल करने की वजह से एचआईवी के फैलने की संभावना ज्यादा होती है.
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अधिकारियों का कहना है कि अगर किसी HIV पॉजिटिव द्वारा इस्तेमाल की गई सुई को कोई दूसरा छात्र लगा लेता है तो उसमें भी संक्रमण फैल जाता है. उनका कहना है कि शायद यही कारण रहा हो कि राज्य में इतनी बड़ी तादाद में छात्र एचआईवी संक्रमित हो गए. हालांकि. सरकार का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है.
एड्स कंट्रोल सोसायटी के ज्वाइंट डायरेक्टर सुभ्रजीत भट्टाचार्जी का कहना है कि जो छात्र HIV पॉजिटिव पाए गए हैं, उनमें से ज्यादातर छात्र अमीर फैमिली से हैं. उनके माता-पिता या तो कारोबारी हैं या फिर सरकारी नौकरी वाले. ऐसे संपन्न परिवार के बच्चों पर पैसे की कमी नहीं होती. जिस वजह से कुछ छात्र गलत रास्ते पर चल पड़ते हैं. माता-पिता को अहसास नहीं होता कि उनके बच्चे कब ड्रग्स की लत में पड़ गए हैं. जब तक उन्हें पता चलता है, बहुत देर हो चुकी होती है.
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त्रिपुरा में HIV का कहर, 800 से ज्यादा छात्र पॉजिटिव, जागरुकता के बावजूद क्यों बढ़े इतने मामले?