डीएनए हिंदी: साल 2002 में हुए गोधरा कांड मामले में कुल 11 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. गुजरात हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. वहीं, गुजरात सरकार का कहना है कि वह दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने की मांग करेगी.
सुप्रीम कोर्ट ने 24 मार्च को कहा था कि अगली सुनवाई में दोषियों की याचिका पर फैसला किया जाएगा. इस बेंच में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जेजी पारदीवाला शामिल हैं. इस मामले में गुजरात सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का कहना है कि दोषियों को मौत की सजा दी जाने की मांग की जाएगी क्योंकि इसे गुजरात हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया था.
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ट्रेन का गेट बंद करके लगा दी गई थी आग
तुषार मेहता ने कहा था, 'यह सब जानते हैं कि ट्रेन की उस बोगी को बाहर से बंद कर दिया गया था और आग लगा दी गई थी. इसमें महिलाओं और बच्चों को मिलाकर कुल 59 लोग मारे गए थे.' बता दें कि निचली अदालत ने इस मामले में 11 दोषियों को मौत की सजा और 20 अन्य आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. गुजरात हाई कोर्ट ने दोष सिद्धि तो बरकरार रखी लेकिन 11 दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था.
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यह घटना 27 फरवरी 2022 की है. अयोध्या से लौट रहे कारसेवकों से भरी इस ट्रेन में आग लगा दी गई थी. इस घटना के बाद ही गुजरात में दंगे फैल गए थे जिनमें सैकड़ों लोगों की जान गई, हजारों लोग चोटिल हुए, लोगों के घर जलाए गए और करोड़ों की संपत्ति का नुकसान भी हुआ.
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गोधरा कांड के दोषियों की सजा होगी कम या जेल में बीतेगी जिंदगी? सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई