डीएनए हिंदी: 2022 ग्लोबल हंगर इंडेक्स (Global Hunger Index 2022) के मामले में भारत 2022 में 121 देशों की लिस्ट में से 107वें स्थान पर रहा है. इस रिपोर्ट के मुताबिक 29.1 के स्कोर के साथ भारत में भूख का स्तर गंभीर है. अहम बात यह है कि दक्षिण एशिया में भारत की स्थिति पाकिस्तान, श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे देशों से भी खराब है. भारत के नीचे इस लिस्ट में दक्षिण एशियाई देशों में केवल अफगानिस्तान ही है.
लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार 19.3 प्रतिशत पर भारत में जीएचआई में शामिल सभी देशों की तुलना में चाइल्ड वेस्टिंग रेट सबसे अधिक है. यह दर 1998-1999 की तुलना में अधिक है जो कि पहले 17.1 प्रतिशत थी.
ताजा आंकड़ों के मुताबिक दक्षिण एशिया में नेपाल 81वें स्थान पर बांग्लादेश 84वें स्थान पर और यहां तक कि पाकिस्तान 99वें स्थान पर है. वहीं भारत इस मामले में सबसे पीछे हो गया है.
क्या है विपक्ष का रिएक्शन?
कांग्रेस ने ग्लोबल हंगर इंडेक्स पर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की है. पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, 'भुखमरी सूचकांक में भारत 107वें स्थान पर पहुंच गया, 121 देशों की लिस्ट में. पिछले साल तक रैंकिंग 101 थी. नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, सूडान, नाइजीरिया और रवांडा ये देश हमसे बेहतर स्थिति में हैं. क्या फर्जी विश्वगुरु ने इसी 'अच्छे दिन' का वादा किया था?'
भुखमरी सूचकांक में भारत 107वें स्थान पर पहुंच गया, 121 देशों की लिस्ट में। पिछले साल तक रैंकिंग 101 थी।
— Congress (@INCIndia) October 15, 2022
• नेपाल
• बांग्लादेश
• पाकिस्तान
• सूडान
• नाइजीरिया
• रवांडा
ये देश हमसे बेहतर स्थिति में हैं। क्या फर्जी विश्वगुरु ने इसी 'अच्छे दिन' का वादा किया था?
भारत सूडान कांगो इथियोपिया, नाइजीरिया, रवांडा जैसे अफ्रीकी देशों से नीचे है. साल 2000 के बाद से विशेष रूप से बाल पोषण के संबंध में भारत ने पर्याप्त प्रगति की है लेकिन अभी भी आंकड़े चिंताजनक है और इसके चलते भारत की छवि वैश्विक स्तर पर खराब हो रही है.
भारत का जीएचआई स्कोर 2000 जीएचआई स्कोर 38.8 अंक से कम हो गया है जिसे खतरनाक माना जाता है. 2022 जीएचआई स्कोर 29.1 हो गया है, जिसे गंभीर माना जाता है.
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गौरतलब है कि भारत की जनसंख्या में कुपोषितों का अनुपात मध्यम स्तर का माना जाता है और इसकी पांच वर्ष से कम आयु की बाल मृत्युदर कम मानी जाती है. वहीं बाल स्टंटिंग में उल्लेखनीय कमी देखी गई है. यह 1998-1999 में 54.2 प्रतिशत से 2019-2021 में 35.5 प्रतिशत तक हो गई है लेकिन सामान्य से ज्यादा होने के चलते आज भी भारत के लिए स्थिति चिंताजनक है.
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ग्लोबल हंगर इंडेक्स में नेपाल और पाकिस्तान से भी पीछे छूटा भारत, विपक्ष ने पूछा- ये हैं अच्छे दिन?