डीएनए हिंदी: दो दशक बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर चुनाव (Congress President Election) हो रहा हैं. गांधी परिवार की ओर से इस रेस के लिए सबसे आगे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) का नाम चल रहा हैं. उन्होंने भी कहा है कि यदि राहुल नहीं लड़ेंगे तो फिर वे गांधी परिवार के कहने पर पर्चा दाखिल करेंगे. ऐसे में राजस्थान के सीएम पद की कुर्सी पर नजर गढ़ाए सचिन पायलट (Sachin Pilot) को लगा था कि वे आसानी से सीएम बन जाएंगे लेकिन उन्हें अब बड़ा झटका लगा है.
दरअसल, बुधवार को अशोक गहलोत ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) से मुलाकात की थी. यह मुलाकात करीब दो घंटे चली थी. वहीं इस बैठक के बाद बाहर आकर अशोक गहलोत ने कहा था कि सीएम पद पर रहते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभालने में उन्हें कोई परेशानी नहीं है और वे ऐसा करने में पूर्णतः सक्षम है. उनके बयानों के आधार पर सूत्रों ने बताया है कि शायद वे अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए सीएम पद पर रहने की शर्त रख चुके हैं.
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सचिन पायलट को है बड़ी उम्मीद
यदि सीएम रहते हुए अशोक गहलोत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाते हैं तो इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ा झटका राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट को लग सकता है. सचिन पायलट को उम्मीद है कि वे गहलोत के अध्यक्ष बनने पर आसानी से सीएम बन जाएंगे. इस मामले में सूत्रों का कहना है कि जब भी कोई शख्स उनके पास कोई परेशानी लेकर जाता है तो वे उन्हें कह देते हैं कि बस सितंबर गुजर जाने दीजिए. उनके यह बयान दर्शाते हैं कि अशोक गहलोत अध्यक्ष बनने के बाद सीएम नहीं रहेंगे और इसके चलते उन्हें सीएम पद मिल जाएगा.
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राहुल के साथ हैं पायलट
इसके विपरीत अब अशोक गहलोत ने बड़ा झटका देते हुए यह कह दिया है कि वे सीएम रहते हुए भी अध्यक्ष पद संभाल सकते हैं. सचिन पायलट इस समय कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ हैं. उन्हें उम्मीद है कि नवजोत सिंह सिद्धू और चरणजीत सिंह चन्नी के बीच लड़ाई में चन्नी को कुर्सी मिली थी कुछ ऐसा ही उनके साथ भी होगा लेकिन बड़ी दिक्कत यह है कि अशोक गहलोत नवजोत सिंह सिद्धू की भांति अपरिपक्व नेता नहीं हैं और उन्हें राजनीति का लंबा अनुभव है.
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गहलोत को क्या है डर?
सचिन पायलट से अशोक गहलोत की ठनी हुई है और इसके चलते यह माना जा रहा है कि गहलोत किसी और करीबी को सीएम बना सकते हैं लेकिन पायलट को किसी भी कीमत पर सीएम की कुर्सी पर बैठा नहीं देख सकते हैं. उनका मानना है कि यदि पायलट राजस्थान के सीएम बन गए तो अशोक गहलोत का प्रभाव राजस्थान की राजनीति में कम हो जाएगा जिससे उनकी केंद्रीय राजनीति पर पकड़ भी कमजोर हो जाएगी.
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