PM Modi US Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीन दिवसीय अमेरिका दौरे पर हैं. इस दौरान उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से भी मुलाकात की. इस द्विपक्षीय बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूक्रेन विजिट की सराहना की. रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच मोदी का शांति दूत बनकर सामने आना, अमेरिका को भी भाया है. यूएस ने यूएन सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का भी समर्थन किया.
मोदी-बाइडन की द्विपक्षीयबातचीत की 6 मुख्य बातें
1. भारत-अमेरिका संबंधों को बढ़ावा
प्रधानमंत्री ने अमेरिकी राष्ट्रपति से नॉर्थ कैरोलिना के विलमिंगटन स्थित उनके घर पर मुलाकात की. विदेश मंत्रालय ने द्विपक्षीय वार्ता की जानकारी साझा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और अमेरिका के बीच अब एक व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है, जो मानव प्रयास के सभी क्षेत्रों को कवर करती है. यह साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, हितों को आगे बढ़ाने और लोगों के बीच जीवंत संबंधों से प्रेरित है. दोनों नेताओं ने आपसी हित के क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की और हिंद-प्रशांत क्षेत्र और उससे आगे के वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया.
2. भारत की वैश्विक भूमिका
व्हाइट हाउस की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति बाइडेन ने विश्व मंच पर भारत के नेतृत्व, विशेष रूप से जी-20 और ग्लोबल साउथ में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व की सराहना की. बाइडेन ने भारत की यूएन में स्थायी सदस्यता का भी समर्थन किया. यही नहीं बाइडेन ने मोदी की रूस-यूक्रेन के बीच शांति स्थापित करने की पहल का भी स्वागत किया.
3. स्पेस से सेमिकंडक्टर तक
दोनों नेताओं ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम, जैव प्रौद्योगिकी (biotechnology) और स्वच्छ ऊर्जा (clean energy) जैसे क्षेत्रों में सहयोग की गति को बेहतर बनाने के लिए नियमित एक-दूसरे के साथ काम करने की प्रतिबद्धता जताई. जारी बयान में कहा गया है कि उन्होंने समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ सहयोग को मजबूत करने के लिए चल रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला. इन प्रयासों में क्वाड और इस साल की शुरुआत में शुरू की गई U.S.-India-ROK त्रिपक्षीय प्रौद्योगिकी पहल शामिल है. इस त्रिपक्षीय पहल का उद्देश्य महत्वपूर्ण उद्योगों के लिए अधिक सुरक्षित और लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं का निर्माण करना है. नेताओं ने द्विपक्षीय साइबर सुरक्षा वार्ता के माध्यम से अधिक गहन साइबरस्पेस सहयोग के लिए नए तंत्रों का भी समर्थन किया.
4. रक्षा संबंधों को बढ़ावा
व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत द्वारा 31 जनरल एटॉमिक्स एमक्यू-9बी 16 Sky Guardian and 15 Sea Guardian) रिमोटली संचालित विमानों और उनके संबंधित उपकरणों की खरीद पूरी करने में हुई प्रगति का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि इससे भारत के सशस्त्र बलों की खुफिया और निगरानी क्षमताओं में वृद्धि होगी. नेताओं ने हाल ही में लॉकहीड मार्टिन और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड के बीच सी-130जे सुपर हरक्यूलिस विमान पर टीमिंग समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने की सराहना की
5. स्वच्छ ऊर्जा
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति बाइडेन ने स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों और कंपोनेंट्स के अमेरिकी और भारतीय मैन्युफैक्चरिंग के माध्यम से सुरक्षित और स्वच्छ ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाओं के विस्तार में तेजी लाने के संयुक्त प्रयासों का स्वागत किया. व्हाइट हाउस ने कहा कि अपने शुरुआती चरण में अमेरिका और भारत अक्षय ऊर्जा, ऊर्जा भंडारण, पावर ग्रिड और ट्रांसमिशन प्रौद्योगिकियों और अन्य उभरती हुई स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के लिए स्वच्छ ऊर्जा मूल्य श्रृंखला में परियोजनाओं का समर्थन करने के लिए 1 बिलियन डॉलर के बहुपक्षीय वित्तपोषण को अनलॉक करने के लिए मिलकर काम करेंगे. दोनों नेताओं ने भारत में हाइड्रोजन सुरक्षा के लिए एक नए राष्ट्रीय केंद्र पर भारत-अमेरिका सहयोग का स्वागत किया और स्वच्छ ऊर्जा विनिर्माण और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर सहयोग बढ़ाने के लिए नए अक्षय ऊर्जा प्रौद्योगिकी कार्रवाई मंच (आरईटीएपी) का उपयोग करने के बारे में बताया.
6. वैश्विक स्वास्थ्य और विकास को बढ़ावा
दोनों नेताओं ने नई US-India Drug Policy Framework की सराहना की. यह फ्रेमवर्क सिंथेटिक औषधियों और पूर्ववर्ती रसायनों के अवैध उत्पादन और अंतर्राष्ट्रीय तस्करी को रोकने के लिए सहयोग को गहन करेगी और समग्र सार्वजनिक स्वास्थ्य साझेदारी को और मजबूत करेगी.
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जो बाइडेन ने क्वाड शिखर सम्मेलन में कैंसर मूनशॉट की घोषणा की और कहा कि क्वाड कैंसर मूनशॉट विश्व में कैंसर की बीमारी को खत्म करने में मदद करेगी और इसकी शुरुआत सर्वाइकल कैंसर से होगी. जो बाइडेन ने अपने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट करते हुए इसकी जानकारी दी है. अपनी पोस्ट में उन्होंने लिखा, 'सर्वाइकल कैंसर सबसे अधिक रोके जा सकने वाले कैंसरों में से एक है, फिर भी हर साल इंडो-पैसिफिक में 150,000 महिलाओं की इससे मृत्यु हो जाती है.'
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