लोकसभा चुनाव के बाद NDA की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरकर सामने आने वाली पार्टी जेडीयू की महत्वाकांक्षाएं बढ़ गई हैं. आपको बताते चलें कि लोकसभा में जेडीयू ने 12 सीटों पर जीत दर्ज की और बीजेपी एक मजबूत सहयोगी बनकर उभरी है. हाल ही में जेडीयू ने सदन के भीतर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग भी उठा चुकी है. इसी बीच झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री और मजबूत निर्दलीय विधायक रहे सरयू राय रविवार को जेडीयू में शामिल हुए हैं.
2024 के अंत में झारखंड में विधानसभा चुनाव
केंद्र बजट में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग तो पूरी नहीं हो पाई, लेकिन राज्य को कई सारे अच्छे पैकेज मिलने के बाद पार्टी के हौसले बुलंद हो गए हैं. दरअसल, बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन उससे पहले पड़ोसी राज्य झारखंड में जेडीयू की परीक्षा होने वाली है. झारखंड में 2024 के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जहां जेडीयू ने चुनाव लड़ने का मन बना लिया है.
पार्टी ने ये फैसला अन्य राज्य में अपना जनाधार मजबूत करने को लेकर किया गया है. इसी का ख्याल रखते हुए पार्टी झारखंड के चुनावी मैदान में उतरेगी. सरयू राय का पार्टी में शामिल होना भी इसी रणनीति का हिस्सा है. राज्यसभा सदस्य संजय कुमार झा ने अपने आवास पर उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई.
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चुनाव के ठिक पहले गरमाई राजनीती
दरअसल, सरयू राय भारतीय जन मोर्चा नामक पार्टी को चलाते हैं. माना जा रहा है कि कुछ समय में सरयू राय की पार्टी औपचारिक रूप से जेडीयू में शामिल हो जाएगी. विधानसभा चुनाव के ठिक पहले सरयू राय के इस कदम से राज्य की राजनीति गरमा गई है.
सरयू राय जेडीयू के प्रमुख नीतीश कुमार के कॉलेज के दोस्त हैं. पिछले दिनों उन्होंने पटना में अपने दोस्त से मुलाकात की थी, जिसके बाद ही उन्होंने ने नीतीश के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का ऐलान किया था. सरयू राय का पर्टी में शामिल होना बेहद खास माना जा रहा है.
जेडीयू एनडीए के साथ 11 सीटों पर लड़ेगी चुनाव
झारखंड विधानसभा चुनाव में जेडीयू एनडीए के साथ मिलकर 11 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है और सरयू राय का पार्टी में शामिल होना जेडीयू का बड़ा दाव माना जा रहा है. सरयू राय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के हिस्सा रह चुके हैं. झारखंड विधानसभा चुनाव 2019 में भाजपा के कद्दावर नेताओं में सरयू राय का नाम शामिल था.
सरयू राय रघुवर दास के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री भी थे, लेकिन मतभेदों के चक्कर में रघुवर दास ने विधानसभा चुनाव में इनका टिकट कटवा दिया, जिसके बाद भाजपा से बगावत करते हुए सरयू राय ने रघुवर दास के खिलाफ निर्दलीया चुनाव लड़कर, उन्हें हरा दिया था.
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