डीएनए हिन्दी: पूरी दुनिया महंगाई की मार से परेशान है. रोजमर्रा की चीजें धीरे-धीरे लोगों की पहुंच से बाहर होती जा रही हैं. अब पशुपालकों के लिए बुरी खबर आई है. बेमौसम बरसात ने चारे को बहुत नुकसान पहुंचाया है. चारे की महंगाई (Fodder Inflation) 9 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है. इससे से किसानों की परेशानियां बढ़ गई हैं. साथ ही इसका असर दूध की कीमतों पर पड़ना तय माना जा रहा है.
देशभर के किसान चारे की कमी से जूझ रहे हैं. बेमौसम बारिश ने खेतों में खड़ी चारे की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है. छोटे पशुपालकों का हालत बेहद खराब है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में भारी बारिश की वजह से बाजरे की फसल बर्बाद होने के बाद जानवरों के लिए चारे की चिंता किसानों को सता रही है. पशुओं के ट्रेडिशनल आहार 'चोकर' खरीद पाना किसानों के लिए मुश्किल हो गया है. भूसे की कीमत 700 से 800 रुपये प्रति 40 किलोग्राम है. एक साल में भूसा और चोकर की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है.
वहीं, दूसरी तरफ देश के 15 राज्यों में लंपी रोग की वजह से किसान अलग परेशान हैं. अब तक करीब 1 लाख पशुओं की मौत हो गई है. वहीं, 20 लाख से ज्यादा पशु संक्रमित हैं.
थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित चारे की महंगाई दर अगस्त 2022 में 25.54 फीसदी है जो कि पिछले 9 सालों में सबसे अधिक है. यह दिसबंर 2021 से लगातार बढ़ रहा है. दूसरी तरफ इस महीने थोक महंगाई दर में गिरावट देखने को मिली है.
राजस्थान के एक किसान ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि उसके पास फिलहाल 14 पशु हैं. उनका कहना है कि चारा और अनाज की कीमत लगभग बराबर है. वह बता रहे हैं कि गांव में गेहूं 2,200 रुपये क्विंटल उपलब्ध है. वहीं, सूखे चारे की कीमत 2,000 रुपये प्रति क्विंटल है. उनका कहना है कि सरसों की खली की कीमत कुछ दिन पहले तक 1,600 रुपये प्रति क्विंटल थी, अब उसकी कीमत बढ़कर 3,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है. किसान का कहना है कि इस महंगाई में अपना भोजन जुटाए या फिर जानवरों का, समझ में कुछ नहीं आ रहा है.
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चारे के दाम बढ़ने का सीधा असर दूध के दामों पर पड़ रहा है. गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (GCMMF) ने इस साल अगस्त में चारे की कीमतों का हवाला देकर दूध के दामों में बढ़ोतरी का फैसला किया था. ध्यान रहे GCMMF अमूल ब्रांड से दूध की मार्केटिंग करती है. हालांकि, किसानों का कहना है कि चारे की कीमतों में करीब 20 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन दूध के दामों में उस अनुपात में बढ़ोतरी नहीं हुई है. किसान दूध की और ऊंची कीमत मांग रहे हैं. ऐसे में आने वाले समय में दूध की बढ़ी हुई कीमतों से इनकार नहीं किया जा सकता है.
एक्सपर्ट की मानें तो भूसा फिलहाल 16 से 20 रुपये किलो बिक रहा है, जो पिछले साल की तुलना में काफी ज्यादा है. देश में 12 से 15 फीसदी हरे चारे की कमी है और 25 से 26 फीसदी सूखे चारे की. एक्सपर्ट इसका एक बड़ा कारण देश के कई हिस्सों में पराली को जलाना भी मान रहे हैं. पराली जलाने की वजह से चारे की कमी झेलनी पड़ रही है. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर किसान पराली न जलाएं तो देश में सूखे चारे की कमी दूर हो सकती है.
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चारे की महंगाई से किसान परेशान, रुला सकती हैं दूध की कीमतें