डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद की एक अदालत ने 42 साल पुराने मामले में फैसला सुनाया है. 10 दलितों की सामूहिक हत्या के मामले में कोर्ट ने 90 साल के बुजुर्ग को उम्रकैद की सजा दी है. 42 साल पहले पूरे देश को झकझोर देने वाली इस घटना में कोर्ट ने बुजुर्ग को उम्रकैद के साथ 55 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है. वहीं, इस मामले में 9 दोषियों की पहले ही मौत हो चुकी है.
साल 1981 में फिरोजाबाद के थाना मक्खनपुर इलाके के गांव साडूपुर में 10 दलितों की हत्या ताबड़तोड़ फायरिंग से कर दी गई थी. वहीं, 3 अन्य लोग इस घटना में बुरी तरह से घायल हुए थे. घटना के समय शिकोहाबाद थाना मैनपुरी जिले में था. ऐसे में फिरोजाबाद रेलवे स्टेशन के क्लर्क डी.सी गौतम ने इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. पुलिस ने जांच के बाद 10 आरोपियों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट भी दाखिल की थी.
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कोर्ट ने सुनाई सजा
अब इस मामले में कोर्ट ने सजा सुनाई है. इस मामले में दोषी 9 लोगों की मौत हो चुकी है. एकमात्र जीवित बचे गंगादयाल पुत्र लज्जाराम को जज हरवीर सिंह ने सजा सुनाई है. इसके साथ 50 हजार रुपये अर्थदंड न देने पर अतिरिक्त सजा सुनाई. 90 साल के लज्जाराम को सजा के बाद जब कोर्ट से बाहर लाया जा रहा था तो वह चल भी नहीं पा रहे थे. उनको पुलिसवालों ने पकड़कर रखा हुआ था.
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10 दलितों की एक साथ हुई हत्या ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी थी. इस घटना ने सभी को हतप्रभ कर दिया था. इस काण्ड के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी गांव साढूपुर आईं थीं. इसके साथ ही उस समय विपक्ष के नेता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी भी आये थे. उन्होंने मक्खनपुर से गांव तक पैदल मार्च किया था.
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10 दलितों की हत्या के मामले में 42 साल बाद आया फैसला, 90 साल के दोषी को आजीवन कारावास की सजा