डीएनए हिंदी: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की विधायक पहले से ही खतरे में है. अब उनके छोटे भाई और दुमका विधायक बसंत सोरेन (Basant Soren) की विधायकी पर भी तलवार लटक गई है. चुनाव आयोग ने कन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट मामले में उनकी विधानसभा सदस्यता को लेकर अपनी रिपोर्ट भेज दी है. अब राज्यपाल रमेश बैंस (Ramesh Bains) को इस पर फैसला लेना है. जेएमएम पहले से ही मांग कर रही है हेमंत सोरेन की सदस्यता पर राज्यपाल को जो फैसला लेना है वह उन्हें तुरंत लेना चाहिए और मामले को लटकाना नहीं चाहिए.

बसंत सोरेन सोरेन पश्चिम बंगाल की माइनिंग कंपनी चंद्रा स्टोन के मालिक दिनेश कुमार सिंह के बिजनेस पार्टनर हैं. वह पार्टनरशिप में मेसर्स ग्रैंड माइनिंग नामक कंपनी भी चलाते हैं. पाकुड़ में चल रही इस कंपनी में भूपेंद्र सिंह, नरेंद्र सिंह और बसंत सोरेन पार्टनर हैं. उन्होंने चुनावी हलफनामे में इनका उल्लेख नहीं किया था. भाजपा ने इसे जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9 ए के नियमों का उल्लंघन बताते हुए उन्हें विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित करने की मांग की थी. इसे लेकर राज्यपाल के पास लिखित शिकायत की गई थी.

यह भी पढ़ें- Uttar Pradesh को सात सालों में मिला 3,200 करोड़ का एफडीआई, दो दर्जन से ज्यादा देश कर रहे निवेश

राज्यपाल ने अभी तक नहीं लिया है कोई फैसला
हेमंत सोरेन के मामले की तरह इसमें भी राज्यपाल ने चुनाव आयोग से राय मांगी थी. इसके बाद चुनाव आयोग ने बसंत सोरेन और शिकायतकर्ता भाजपा को नोटिस कर मामले की सुनवाई की थी. अंतिम सुनवाई बीते 29 अगस्त को हुई थी. इसी मामले में अब चुनाव आयोग ने उनकी विधानसभा सदस्यता को लेकर झारखंड के राजभवन को मंतव्य भेज दिया है. हेमंत सोरेन के मामले की तरह बसंत सोरेन के केस में भी चुनाव आयोग के मंतव्य के अनुसार राज्यपाल को निर्णय लेना है. राजभवन की ओर से इस बारे में कोई आदेश जारी नहीं किया गया है.

यह भी पढ़ें- कोलकाता में छह ठिकानों पर ED की रेड, खाट के नीचे छिपा रखा था 7 करोड़ रुपये कैश

चुनाव आयोग में सुनवाई के दौरान दुमका के विधायक बसंत सोरेन की तरफ से उनके अधिवक्ता ने तर्क दिया था कि यह मामला राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र का नहीं है. इसकी अनदेखी करते हुए राजभवन ने संविधान के अनुच्छेद 191 (1) के तहत चुनाव आयोग से मंतव्य मांगा. बसंत सोरेन ने अगर आयोग के समक्ष दिए गए शपथपत्र में तथ्यों को छिपाया है तो हाई कोर्ट में चुनाव याचिका दाखिल कर उनकी सदस्यता को चुनौती दी जा सकती है. दूसरी तरफ भाजपा के अधिवक्ता ने इसपर दलील दी कि बसंत सोरेन जिस माइनिंग कंपनी से जुड़े हैं, वह राज्य में खनन करती है. बसंत सोरेन का इससे जुड़ाव अधिकारियों को प्रभावित करता है. यह कंफ्लिक्ट आफ इंट्रेस्ट का मामला है. ऐसे में उनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द की जानी चाहिए.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Url Title
election commission sent its suggestions on membership of hemant soren brother basant soren
Short Title
Hemant Soren के भाई बसंत सोरेन की भी जाएगी विधायकी? चुनाव आयोग ने भेजी रिपोर्ट
Article Type
Language
Hindi
Created by
Updated by
Published by
Page views
1
Embargo
Off
Image
Image
खतरे में है हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन की विधायकी
Caption

खतरे में है हेमंत सोरेन और बसंत सोरेन की विधायकी

Date updated
Date published
Home Title

Hemant Soren के भाई बसंत सोरेन की भी जाएगी विधायकी? चुनाव आयोग ने भेजी रिपोर्ट, राज्यपाल लेंगे फैसला