फरवरी 2022 से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है, जिसमें दोनों तरफ से हज़ारों लोग मारे गए हैं. इन दिनों भारत में रूस और यूक्रेन का युद्ध खास वजह से चर्चा में है. आपने ख़बरें सुनी होगीं कि रूस की सेना में भारतीयों नौजवानों को जबरन भर्ती किया जा रहा है. ऐसी भी ख़बरें सुनी होंगी कि कुछ भारतीयों को रूस ने यूक्रेन बॉर्डर पर तैनात किया है, जो सीधे तौर पर युद्ध लड़ रहे हैं. जंग लड़ते हुए कई भारतीयों के घायल होने की ख़बरें भी आई. पिछले कुछ दिनों में दो भारतीयों की मौत युद्ध के मोर्चे पर हो चुकी है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इंडियन विदेश जाने की चाहत में डंकी क्यों बन रहे हैं?
मार्च 2024 में हैदराबाद के मोहम्मद असफान की रूस में मौत होने की ख़बर आई. असफान नवंबर 2023 में ही रूस नौकरी के लिए गया था. असफान की मौत युद्ध में लड़ते हुए हुई. इससे पहले फरवरी 2024 में सूरत के हेमिल मंगुकिया की मौत भी युद्ध लड़ते हुए हुई थी. हेमिल भी नौकरी की तलाश में रूस गया था. हरियाणा के एक युवा ने युद्ध लड़ते हुए घायल होने की बात अपनी परिवार को बताई है, साथ ही कश्मीर के कुछ नौजवान भी रूस में जबरन जंग का हिस्सा बने हुए हैं. 29 फरवरी 2024 को भारतीय विदेश मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया था, कि रूस से वापसी के लिए 20 भारतीयों ने मदद मांगी है.
विदेश जाने की चाहत में डंकी बनते इंडियन
जिन भारतीयों ने देश वापसी के लिए मदद मांगी है, जाहिर है वो बहुत बड़ी मुसीबत में फंसे होंगे. इस बीच भारतीयों की मौत और उनके युद्ध में घायल होने की ख़बर कई सवाल खड़े करती है.
- भारतीयों को नौकरी का लालच देकर रूस कौन भेज रहा है?
- भारतीयों को रूस के लिए युद्ध लड़ने को कौन मजबूर कर रहा है?
- भारतीयों को धोखा देने वाले कौन लोग हैं और वो कहां पर हैं?
- भारतीयों को मौत के मुंह में धकेलने वालों का नेटवर्क कहां तक फैला है?
ये ऐसे सवाल हैं, जो आज हर भारतीय के मन में उठ रहे हैं. लंबे समय तक इन सवालों का जवाब पुख्ता तौर पर सुरक्षा एजेंसियों के पास भी नहीं था लेकिन अब इन सवालों के जवाब मिलने लगे हैं. जिनसे पता चलता है कि भारत में कितने बड़े स्तर पर भारतीयों को रूस-यूक्रेन युद्ध में धकेला जा रहा है. पिछले कुछ समय से रूस में फंसे कई युवाओं के वीडियो वायरल हो रहे थे, जिसमें वो भारत सरकार से देश वापसी के लिए मदद मांगते दिखे. इसी के बाद भारत सरकार Active हुई. पता चला कि सोशल मीडिया के जरिये युवाओं को रूस में नौकरी दिलाने के दावे किये जा रहे हैं. इसकी के बाद कल यानी गुरुवार को CBI ने Human Trafficking Racket का पर्दाफाश किया.
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CBI ने मारा छापा
CBI ने दिल्ली के Connaught Place में केजी मार्ग पर RAS Overseas Foundation के दफ्तर पर छापा मारा. यहीं से भारतीय नौजवानों को नौकरी का लालच देकर रूस भेजने और फिर उन्हें रूस की आर्मी में जबरन भर्ती करने का रैकेट चल रहा था. जिसके कई एजेंट देश के अलग अलग शहरों में एक्टिव थे इसलिए CBI ने देश के सात राज्यों के कुल 13 ठिकानों पर छापा मारा. दिल्ली, मुंबई, अंबाला, चंडीगढ़, मदुरई, चेन्नई और Thiruvananthapuram में की गई Raid में CBI को काफी संख्या में संदिग्ध दस्तावेज, मोबाइल फोन, और लैपटॉप मिले हैं. छापेमारी में बरामद हुए दस्तावेज से ये खुलासा हुआ कि देश के युवाओं को धोखे से रूस भेजा जा रहा था. CBI ने मानव तस्करी में शामिल कुल 19 लोगों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज की है.
इस गिरोह का मास्टरमाइंड दुबई स्थित फैसल अब्दुल मुतालिब खान बताया जाता है. फैसल ही भारतीय युवाओं को फंसाने के लिए वीडियो बनाकर उन्हें सोशल मीडिया के जरिये सर्कुलेट करता था. मानव तस्करी रैकेट से जुड़े लोग भारतीय नौजवानों को रूस में अच्छी नौकरी और सैलरी का लालच दिया करते थे. नौजवानों को बताया जाता कि रूस में उन्हें सिक्योरिटी गार्ड, रशियन आर्मी हेल्पर, Education Sector जुड़ी या कोई दूसरी अच्छी नौकरी दिलाएंगे. रूस में नौकरी दिलाने के बदले प्रति युवक 3 लाख रुपये तक वसूल किये जाते थे, जरूरी दस्तावेजों की व्यवस्था गिरोह के लोग करते थे.
युवाओं को दिखाए जाते हैं सुनहरे सपने
जब रूस जाने का कोई इच्छुक युवा गिरोह के दफ्तर या एजेंट से संपर्क करता, तब उसे सुनहरे सपने दिखाए जाते थे. उन्हें बताया जाता कि कुछ हज़ार रुपये खर्च करके उन्हें रूस में लाखों रुपये की नौकरी दिलाई जायेगी. गिरोह के लोग दावा करते थे कि रूस में नौकरी दिलाने, वीजा उपलब्ध कराने, रूस जाने की व्यवस्था और सभी जरूरी दस्तावेज वही पूरा करके देंगे. जिसके बदले रूस जाने वाले युवा को सिर्फ 3 लाख रुपये खर्च करने होंगे. पहली किस्त के तौर पर युवा को 40 हज़ार रुपये देने होंगे. ये पैसा रूस से नौकरी का Offer मिलने पर देना होगा. इसके अलावा जरूरी दस्तावेज जमा कराने होंगे. दूसरी किस्त के तौर पर युवक को 25 हज़ार रुपये देने होंगे. ये पैसा रूस का वीजा मिलने पर देने की बात कही जाती थी. तीसरी किस्त में युवक से 40 हज़ार रुपये टिकट और बाकी खर्च के लिए लिये जाते थे. चौथी किस्त में युवक को 2 लाख रुपये डॉलर में कंवर्ट करके रूस आते समय अपने साथ लाने को कहा जाता था. इस तरह इनके संपर्क में आने वाले युवाओं को लगता कि सिर्फ तीन लाख रुपये खर्च करके रूस में अच्छी नौकरी मिल रही है क्योंकि, युवाओं को बताया जाता कि रूस जाने के बाद उन्हें तीन महीने की ट्रेनिंग पूरी करनी होगी लेकिन ट्रेनिंग पीरियड के दौरान भी उन्हें 40 हज़ार रुपये मासिक तनख्वाह मिलेगी. ट्रेनिंग पूरी होने के बाद 1 से डेढ़ लाख रुपये महीने की तनख्वाह पर उन्हें रखा जायेगा.
22 फरवरी को पहली बार भारतीयों को धोखा देकर यूक्रेन जंग में भेजने की बात सामने आई थी. इसके बाद 29 फरवरी को विदेश मंत्रालय ने बताया था कि रूस में फिलहाल 20 भारतीय नागरिक फंसे हैं. इन्हें निकालने की कोशिश जारी है लेकिन इसकी गंभीरता का सही सही अंदाजा तब लगा जब रूस में फंसे भारतीयों के कई वीडियो सामने आया था. जिसमें रूस में फंसे सात भारतीयों ने भारत सरकार से गुहार लगाई और बताया कि उन्हें जबरदस्ती युद्ध के मैदान में लड़ने के लिए भेजा जा रहा है. वीडियो में सातों भारतीय रूसी फौज की वर्दी पहने हुए थे. रूस की सेना में जबरदस्ती भर्ती करवाए गए, इन सात भारतीयों में से पांच पंजाब के और दो हरियाणा के हैं. इस वीडियो से रूस में नौकरी का झांसा देकर युद्ध के मैदान में भेजने वाले रैकेट का खुलासा हुआ था लेकिन इसी दौरान रूसी फौज में जबरदस्ती भर्ती किये गये दो भारतीयों की मौत..यूक्रेन युद्ध में हो गई. इसके बाद भारत सरकार ने रूस में फंसे भारतीयों की वापसी की कोशिशें और तेज की.
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