डीएनए हिंदी: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ऐसे अधिक संपत्ति के मामले में लोकायुक्त की कार्रवाई में बड़ा खुलासा हुआ है. स्वास्थ्य विभाग के रिटायर्ड स्टोर कीपर अशफाक अली की संपत्ति देखकर लोकायुक्त की टीम भी हैरान रह गई. छापामार कार्रवाई में उसकी करीब 10 करोड़ की संपत्ति का खुलासा हुआ है. लोकायुक्त की टीम ने उसके भोपाल और विदिशा के लटेरी स्थित ठिकानों से 45 लाख रुपए कीमत का सोना, गहने और 21 लाख रुपए कैश भी बरामद किए हैं. लोकायुक्त की टीम उसकी 50 से ज्यादा चल-अचल संपत्ति की भी जांच कर रही है. हमारे खास शो डीएनए में सौरभ जैन ने इस पर कई अहम जानकारी दी है.
मध्य प्रदेश विभाग की एक टैगलाइन है..."MP अजब है...सबसे ग़ज़ब है. मध्य प्रदेश का ये विज्ञापन आपने भी देखा और सुना होगा हो लेकिन अब हम आपको जो बताने वाले हैं. उन्हे देखकर आप ये मानने के लिए मजबूर हो जाएंगे कि एमपी वाकई में अजब भी है...और ग़ज़ब भी है. दरअसल, अशफ़ाक अलीमध्य प्रदेश सरकार में तृतीय श्रेणी यानी ग्रुप C लेवल का एक रिटायर्ड स्टोर कीपर है. अशफ़ाक अली जब रिटायर हुआ था, तब उसकी कुल तनख्वाह थी 45 हजार रुपये प्रति माह थी. कुछ दिनों बाद किसी व्यक्ति से अशफ़ाक़ अली की ये शानोशौकत बर्दाश्त नहीं हुई. उसने मध्य प्रदेश लोकायुक्त में उसकी शिकायत कर दी. जिसके बाद लोकायुक्त की टीम अशफ़ाक अली के पीछे पड़ गईं. जब इन टीम ने भोपाल से लेकर विदिशा तक उसके अलग - अलग ठिकानों पर छापेमारी की तो आपकी तरह लोकयुक्त की टीम में शामिल लोग भी हैरान हो गए.
इतनी संपत्ति देख हैरान रह गए अधिकारी
अशफ़ाक़ अली के भोपाल स्थित आलीशान मकान से सोने-चांदी के जेवरात और हीरे बरामद हुए. बरामद किए गए गहनों की कुल क़ीमत क़रीब 46 लाख रुपये है, जबकि उसके घर से 21 लाख रुपये का कैश भी बरामद हुआ, जिसे गिनने के लिए मशीन मंगवानी पड़ी. यही नहीं लोकायुक्त को अशफ़ाक़ अली की 50 से ज़्यादा प्रॉपर्टी का भी पता चला. जिसे उसने अपनी पत्नी, अपने बेटे और अपनी बेटी के नाम पर ख़रीदा था. इसके अलावा उसने अपने रिश्तेदारों के नाम से भी कई प्रॉपर्टी ख़रीदी थीं. 45 हज़ार रुपये महीने की सैलरी वाला रिटायर्ड स्टोर कीपर, वो अपनी ख़ुद की टाउनशिप बसाने की भी तैयारी कर रहा था. विदिशा ज़िले में अशफ़ाक़ अली की 14 हज़ार वर्ग फ़ीट की ज़मीन पर अपना शॉपिंग काम्प्लेक्स बना रहा था. आज 45 हज़ार रुपये महीना कमाने वाला व्यक्ति, बचत तो दूर, किसी तरह घर चला ले यही बहुत है लेकिन MP तो अजब है. लोकायुक्त से मिली जानकारी के अनुसार अब तक अशफ़ाक़ अली की 10 करोड़ रुपये से ज़्यादा क़ीमत की चल और अचल संपत्तियों का पता चल चुका है. जांच करने वाली टीम की मानें तो काफ़ी कुछ पता चलना अभी भी बाक़ी है.
भोपाल के पॉश इलाक़े में मौजूद एक आलीशान बंगला
रिटायर्ड स्टोर कीपर अशफाक अली का ये घर बाहर से जितना आलीशान दिखता है, अंदर उससे भी ज़्यादा भव्य है. चाहे फ़र्श पर चमकता बेशक़ीमती पत्थर हो...या फिर छत पर लटकता क़ीमती झूमर. महलनुमा इस घर के हर कोने से रईसियत और अमीरी झलक रही है. सिर्फ़ यहां रहने वाले लोगों के लिए ही नहीं बल्कि स्टोरकीपर अशफ़ाक़ अली के घर में जानवरों के लिए भी विशेष व्यवस्था थी. लोकायुक्त की टीम को अशफ़ाक़ अली के घर पर विदेशी नस्ल की बिल्लियां भी मिलीं. इन बिल्लियों के अपने ठाठ थे. घर में उनका अलग कमरा था, जहां उनकी सुख सुविधा का पूरा इंतज़ाम मिला. बिल्लियों को तकलीफ़ न हो इसलिए कमरे में AC तो लगा ही था. कमरे के इंटीरियर पर भी अच्छा खासा खर्च किया गया था. अशफ़ाक़ अली की बिल्लियां जिस तरह के कमरे में रहती थीं. वैसा कमरा तो एक मध्यमवर्गीय परिवार के लोगों को भी नसीब नहीं होता. इस आलीशान मकान की छत भी कम ख़ास नहीं है. रिटायर्ड स्टोरकीपर ने अपने मकान में बकायदा टैरेस गार्डेन बना रखा था. जब छापा मारने वाली टीम वहां पहुंची तो उनकी भी आंखे खुली की खुली रह गईं.
व्यवस्था पर उठ रहे सवाल
अशफ़ाक़ अली के फाइव स्टार होटल जैसे घर की तस्वीरें हैरानी का विषय नहीं हैं. ये एक व्यवस्था के तौर पर हमारे लिए शर्मसार होने का विषय है. वैसे भी हमारे देश में सरकारी नौकरी को लेकर एक धारणा है. वो ये है कि सरकारी नौकरी में तनख्वाह नहीं, ऊपरी कमाई देखी जाती है. वेतन से तो सिर्फ़ तन ढका जा सकता है जबकि असली बरक्कत तो ऊपरी कमाई मे है. अशफाक़ अली के मकान की तस्वीरें सरकारी नौकरी के प्रति गढ़ी गई. उस धारणा को मज़बूत करती हैं.
भ्रष्टाचार को अपना हक़ समझते हैं कुछ सरकारी कर्मचारी
अगर हम अशफ़ाक अली की एवरेज सैलरी 40 हज़ार रुपये भी मान लें और ये मान लें कि उन्होने 40 वर्ष तक नौकरी की होगी तो इस लिहाज से भी उनकी कुल आय 1 करोड़ 92 लाख रुपये ही होती है. ये तब है जब उन्होने इस सैलरी में एक भी रुपये ख़र्च नहीं किए हों. पूरी सैलरी सीधे बैंक में जमा कर दी हो लेकिन ऐसा संभव नहीं है. 40 वर्ष में कुल एक करोड़ 92 लाख रुपये का सरकारी वेतन प्राप्त करने वाला स्टोरकीपर 14 हज़ार वर्गफ़ीट में शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बना लेता है. उसके आलीशान घर में विलायती बिल्लियों के लिए अलग कमरा होता है. जिसमें A.C भी लगे होते हैं. दरअसल, यही आय से अधिक संपत्ति का मामला है, जिसमें अशफ़ाक़ अली जैसे लोग अपनी कुल आय से कई गुना ज़्यादा की संपत्ति बना लेते हैं. आप इतना तो समझते ही होंगे कि करोड़ों अरबों की ये संपत्ति सैलरी से तो नहीं बनाई जा सकती. ये उसी ऊपरी कमाई की नेमत है. जो हमारे और आपके लिए तो भ्रष्टाचार कहलाता है लेकिन सरकारी कर्मचारियों का एक वर्ग इसे अपना हक़ समझता है.
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