डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के मामले की सुनवाई के दौरान सोमवार को टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि आर्टिकल 370 के हटाए जाने से पहले जम्मू-कश्मीर राज्य के स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 35ए ने भारत के लोगों के तमाम मौलिक अधिकारों को छीन लिया था. अब अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने को लेकर कोर्ट में चल रही बहस आखिरी चरण में है. आइए हमारे खास शो डीएनए में सौरभ जैन से जानिए कि इसे हटाने के पक्ष में सरकार ने 5 कौनसे तर्क दिए हैं...
सुप्रीम कोर्ट में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के फ़ैसले पर बीते 12 दिनों से सुनवाई चल रही है लेकिन आज का दिन काफ़ी अहम था क्योंकि आज कोर्ट ने इस मामले पर कई अहम टिप्पणियां भी कीं और सरकार से कई सवाल भी पूछे. आज चीफ़ जस्टिस सीजेआई धनंजय वाई चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि जम्मू कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा कब मिलेगा और इसे बहाल करने का क्या रोड मैप क्या है?
सरकार ने दिए ये 5 तर्क
1) सरकार की तरफ़ से कहा गया कि जम्मू-कश्मीर को अस्थायी तौर पर केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है और जल्दी ही इसे फिर से पूर्ण राज्य बना दिया जाएगा. हालांकि लद्दाख़ केंद्र शासित प्रदेश ही बना रहेगा.
2) केंद्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि 370 खत्म होने के बाद आतंकियों का नेटवर्क ख़त्म हुआ और इसका फ़ायदा tourism में हुआ. इस वर्ष रिकॉर्ड 1.88 करोड़ सैलानी जम्मू कश्मीर पहुंचे.
3) सरकार की तरफ़ से दी गई जानकारी के अनुसार, वर्ष 2018 में जम्मू कश्मीर में पथराव की 1,767 घटनाएं दर्ज की गई थीं जबकि वर्ष 2023 में ऐसी एक भी घटना दर्ज नहीं हुई..
4) इसी तरह वर्ष 2018 में घाटी में कुल 199 युवा आतंकी बने थे, जबकि इस वर्ष ये आंकड़ा घट कर 12 रह गया है.
5) सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार को आर्टिकल 370 खत्म करने और जम्मू कश्मीर को पूरी तरह भारत में मिलाने का फ़ैसला लेना पड़ा. आर्टिकल 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर में केंद्र के कई कानून लागू नहीं हो पाते थे. लेकिन अब केंद्र के क़ानून लागू हो रहे हैं.
आर्टिकल 370 पर इतना विवाद क्यों था?
आर्टिकल 370 का इतिहास भारत की आज़ादी से जुड़ा है. देश 15 अगस्त 1947 को भारत आज़ाद हो गया. उस वक़्त भारत में साढ़े पांच सौ से ज़्यादा स्वतंत्र रियासतें थीं, जो ब्रिटिश शासन के अंदर आती थीं. अंग्रेजों ने इन रियासतों को तीन शर्तें दीं थीं, पहली तो ये कि वो भारत में विलय कर लें, दूसरी कि वो पाकिस्तान में शामिल हो जाएं, या फिर तीसरी ये कि वो न भारत में शामिल हों और न ही पाकिस्तान में.और स्वतंत्र बनी रहें. जम्मू- कश्मीर भी इसी लिस्ट का हिस्सा था .जम्मू कश्मीर के महाराजा हरिसिंह न तो भारत में शामिल होना चाहते थे और न ही पाकिस्तान में लेकिन 24 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला कर दिया, बुरी तरह घिर चुके महाराजा हरिसिंह ने भारत से मदद मांगी. भारत मदद के लिए तैयार हो गया लेकिन पहले जम्मू कश्मीर के भारत में शामिल होने की शर्त रखी गई.
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DNA TV SHOW: अनुच्छेद 370 पर कोर्ट में बहस अब फाइनल फेज में, जानिए इसे हटाने के पक्ष में क्या हैं सरकार के 5 तर्क