'पुरुष सिर्फ स्पर्म डोनर, पैसे कमाने की मशीन, झूठे आरोप में फंसाने का खिलौना नहीं है बल्कि वह भी किसी का पिता, पति और भाई हैं. मैंने मर्दों के दुख को समझा और पुरुष आयोग बनाया.' ये शब्द हैं दिल्ली में रहने वाली बरखा त्रेहन के.
बेंगलुरु में एआई इंजीनियर अतुल सुभाष केस की देशभर में चर्चा के बीच DNA हिंदी ने बात की देश में पुरुष आयोग नामक स्वयंसेवी संस्था चलाने वाली बरखा त्रेहन. अतुल सुभाष केस पर उन्होंने कहा अतुल पहला व्यक्ति नहीं है जिसने आत्महत्या की है बल्कि इस देश में हजारों मर्द आत्महत्या कर लेते हैं, लेकिन किसी को उनकी सुध नहीं है.
वे कहती हैं कि पुरुषों के लिए कोई आयोग नहीं है. आज हिंदुस्तान में कीड़ों-मकोड़े, जानवरों, पेड़-पौधे सभी के लिए मंत्रालय है, लेकिन पुरुषों के लिए कोई मंत्रालय नहीं है. ऐसा लगता है कि पुरुष नाम का प्राणी इस देश में एग्जिस्ट ही नहीं करता. सरकारों के लिए पुरुष एक भूला हुआ जेंडर हो गया है. महिलाओं से ज्यादा सुसाइड पुरुष करते हैं, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जाता.
इलाहाबाद में पली-बढ़ी बरखा DNA हिंदी से खास बातचीत में कहती हैं, 'मैं बचपन से अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाली बच्ची रही. दिल्ली में शादी होने से पहले भी मैं स्कूल में पढ़ाती थी. मेरा एक्टिविज्म अब से नहीं बल्कि बचपन से ही शुरू हो गया था.
ऐसे जागी पुरुषों के प्रति संवेदना
बरखा बताती हैं कि दोस्त की पीड़ा से निकला आइडिया पुरुषों के लिए काम करने की मैंने तब सोची जब मेरा सबसे अजीज दोस्त झूठे रेप के केस के चक्कर में खुद की जान लेने जा रहा था. उसकी जिदंगी सिर्फ घुप अंधेरे में कमरे में सिमट गई थी. जब मुझे यह मालूम हुआ कि उसके ऊपर रेप का झूठा आरोप लगा तो मुझे लगा कि कोई लड़की रेप का आरोप क्यों लगाएगी, लेकिन मामले की तह में गई तो सच में मामला झूठा ही निकला. बस तभी से मैंने तय कर लिया अब पुरुषों के लिए ही काम करना है.
मैंने पुरुष आयोग खोलने के लिए तमाम सरकारों से अपील की, लेकिन किसी ने मेरी बातों पर गौर नहीं किया. दोस्त को उबारते-उबारते मैं लोगों की नजर में आ गई और अब मेरे पास सताए़, रेप हुए और झूठे आरोपों में फंसे मर्दों की झड़ी लग गई. पुरुषों की कहानियां सुनने के बाद मेरा कलेजा मुंह को आ जाता था.
…जब पुरुष के प्राइवेट पार्ट में झोंक दी मिर्च
बरखा कई केसेज को डिस्कस करते हुए बताती हैं कि रोहतक का एक केस सामने आया जिसमें महिला अपने पति को इतना परेशान करती थी कि उनके बीच आयदिन मारपीट होती रहती. एक दिन उनकी रोजमर्रा की लड़ाई इतनी बढ़ गई कि उसने अपने भाइयों से अपने पति को पिटवाया और बाद में प्राइवेट पार्ट में मिर्च भी डलवाई. इस कांड से पति की आंतड़ियां टूट गईं. वह अस्पताल में भर्ती हो गया.
मिलती हैं रोज रेप की धमकियां
बरखा कहती हैं कि इन सभी केसेज को सॉल्व करना इतना आसान नहीं था. मुझे कई बार रे और जान से मारने की धमकी मिली हैं. यहां तक कि मैं जिन नेताओं के सामने अपनी बात रखती और उनके साथ अपने फोटोज शेयर करती तो लोग मुझे कहते कि मैं इन नेताओं के साथ सो चुकी हूं.
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फाइटर हूं, हार नहीं मानूंगी
वे कहती हैं कि मैं फाइटर हूं, हार नहीं मानूंगी. रोजमर्रा की धमकियों और ट्रोलिंग से मैं डरती नहीं हूं. बचपन से फाइटर रही हूं. मैं चेंजमेकर हूं. मेरी मांग है कि एक पुरुष कमीशन बनना चाहिए और सभी जेंडर के लिए समान कानून बनने चाहिए. हमें सिर्फ 'मन की बात' नहीं 'मैन की बात' करनी होगी. अब हर किसी को यही कहती हूं कि आप फाइटर बनें. स्थितियां चाहें जो भी हों. पर उनसे हार न मानें. मैं रहूं या न रहूं. ये बराबरी की बात चलती रहनी चाहिए.
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DNA Special: कौन हैं 'पुरुष आयोग' चलाने वाली बरखा त्रेहन, जो कर रहीं 'मैन की बात', खुद्दार कहानी उन्हीं की जुबानी