डीएनए हिंदी: उर्दू के महान शायर जौन एलिया (Jaun Eliya) की 91वीं जयंती पर दिल्ली प्रेस क्लब सभागार में उन्हें याद किया गया. नया एहसास फ़ाउंडेशन (Naya Ehsaas Foundation) के इस आयोजन में उर्दू शायर जौन एलिया को श्रद्धांजलि देने और उनकी शायरी को याद करने के लिए प्रसिद्ध शायरों, लेखों और पत्रकारों सहित कई हस्तियों ने भाग लिया. कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि फ़रहत एहसास ने मंगल दीप जलाकर की.

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पहले सत्र में जौन एलिया के काम को किया याद

कार्यक्रम के पहले सत्र में जौन एलिया के काम को याद किया गया. इस दौरान इरशाद ख़ान सिकंदर ने लोकप्रिय नाटक 'जौन एलिया का जिन' के कुछ दिलचस्प दृश्यों का श्रोताओं के सामने पाठ किया, जिसे सभी ने पसंद किया. इसके बाद हिंदी की वरिष्ठ लेखिका अणु शक्ति सिंह ने जौन एलिया की प्रसिद्ध नज़्म 'दरख़्त-ए-ज़र्द' सभी के सामने पेश कर समां ही बांध दिया. इसके बाद शायर विकास शर्मा राज़ की नई किताब 'हम ज़मीं पर आसमां के फूल हैं' का विमोचन किया गया. किताब का विमोचन फ़रहत एहसास के हाथों हुआ. उन्होंने किताब पर अपनी राय रखते हुए कहा, 'विकास शर्मा राज़ की शायरी में ग़ज़ल के रचनात्मक साधनों और बयान के विभिन्न तरीक़ों का कुशल प्रयोग देखने को मिलता है. साथ ही, उनकी ग़ज़लों में विभिन्न विषयों के अनदेखे पहलुओं को नई रचनात्मक स्थितियों और शब्दों में बयान किया गया है.

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दूसरे सत्र में काव्य-पाठ से दी गई श्रद्धांजलि

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में काव्य-पाठ से जौन एलिया को श्रद्धांजलि दी गई. इस दौरान उर्दू के कई स्थापित शायरों ने अपनी रचनाएं पेश कीं, जिनमें फ़रहत एहसास, विकास शर्मा राज़, इरशाद ख़ान सिकंदर, तरकश प्रदीप, राहुल झा और प्रणव मिश्र तेजस शामिल हैं. 

कार्यक्रम के तीसरे सत्र में प्रवीण मुद्गल ने जौन एलिया की नज़्में और ग़ज़लें गाकर दर्शकों का मन मोह लिया. फ़ाउंडेशन की संस्थापक सदस्य अणु शक्ति सिंह ने बताया, 'हमारी संस्था हर साल 14 दिसंबर को जौन एलिया की याद में एक ऐसी शाम का आयोजन करती है, जिसमें उनके चाहने वाले उनकी शायरी और व्यक्तित्व के जादू में फिर से डूबने का लुत्फ़ ले सकें. कार्यक्रम का समापन अंशिका जैन कौर ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया.

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जानिए कौन थे जौन एलिया

उर्दू के महान शायर के तौर पर जौन एलिया की पहचान भारत और पाकिस्तान के साथ दुनिया के हर उस हिस्से में है, जहां उर्दू जुबान बोलने और समझने वाले मौजूद हैं. जौन एलिया का जन्म आजादी से पहले उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले में 14 दिसंबर, 1931 को हुआ था. बंटवारे के बाद वे पाकिस्तान चले गए, जहां उन्होंने अपनी शायरी से सभी को मोहा. उनका निधन पाकिस्तान के कराची में 8 नवंबर, 2002 को हुआ. उर्दू के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले शायरों में शुमार जौन एलिया की शायरी के प्रमुख संग्रह 'शायद, यानी, गुमान' आदि हैं. 

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DNA LIT Naya Ehsaas Foundation celebrated popular Urdu Poet Jaun Eliya 91st birth anniversary
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जौन एलिया के जन्मदिन पर जुटे विद्वान, उर्दू शायर को किया याद
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Jaun Eliya Birth Anniversary
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Jaun Eliya Birth Anniversary पर उन्हें याद किया गया.

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जौन एलिया के जन्मदिन पर जुटे विद्वान, उर्दू शायर को किया याद, काव्य पाठ से दी श्रद्धांजलि