चुनाव नतीजों के 11 दिन बाद ही सही आखिरकार महाराष्ट्र के नए सीएम (Maharashtra CM) के नाम का ऐलान हो गया है. उम्मीद के मुताबिक देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) फिर से प्रदेश के मुख्यमंत्री होंगे. एकनाथ फडणवीस (Eknath Fadnavis) की प्रेशर पॉलिटिक्स काम नहीं आई. इससे पहले बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू (JDU) के पास बीजेपी से कम विधायक हैं, लेकिन फिर भी वह मुख्यमंत्री बनने में कामयाब रहे हैं. शिंदे के साथ ऐसा नहीं हो सका और इसके पीछे देवेंद्र फडणवीस के साथ अजित पवार भी बड़ी वजह हैं. समझें महाराष्ट्र की इनसाइड स्टोरी.
BJP के लिए शिंदे अब जरूरी नहीं?
महाराष्ट्र चुनाव में बीजेपी को 132 सीटें मिली हैं और अजित पवार के पास 41 विधायक हैं. ऐसे में एकनाथ शिंदे अगर अपना समर्थन वापस भी लेते हैं, तो बीजेपी को ज्यादा नुकसान नहीं होगा. एनसीपी और बीजेपी के ही पास बहुमत से काफी ज्यादा नंबर हैं. दूसरी ओर महराष्ट्र की राजनीति के जानकारों का कहना है कि अजित पवार को महायुति में शामिल करने का विरोध भी था, लेकिन फडणवीस की पहल से ही यह संभव हुआ. अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस की आपसी तालमेल और एक-दूसरे पर विश्वास ने एकनाथ शिंदे को बैकफुट पर ला दिया और वह सीएम पद के लिए अड़े नहीं.
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शिवसेना के पास नहीं है दबाव बनाने की गुंजाइश?
एकनाथ शिंदे की प्रेशर पॉलिटिक्स के सामने बीजेपी हाईकमान ने नहीं झुकने का संकेत साफ कर दिया है. महाराष्ट्र चुनाव में शिंदे की सेना के 57 विधायक जरूर जीते हैं. हालांकि, इन आंकड़ों के साथ यह भी ध्यान रखना होगा कि इनमें से 14 विधायक बीजेपी समर्थित हैं. 6 ऐसे विधायक हैं जो घोषित तौर पर बीजेपी के हैं. चुनाव से पहले शिंदे ने जिन 4 निर्दलीयों को टिकट दिया था वो भी जीते हैं. इन चारों को टिकट दिलाने में भी बीजेपी का ही दबाव था.
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Fadnavis और अजित पवार की दोस्ती ने खा ली Eknath Shinde की कुर्सी, ये है इनसाइड स्टोरी