डीएनए हिंदी: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में इस साल कट-ऑफ से कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) में प्रवेश प्रक्रिया में बदलाव से कुछ राज्य बोर्डों के छात्रों को दूसरों की तुलना में अधिक मदद मिली है. उदाहरण के लिए बिहार राज्य बोर्ड से डीयू में प्रवेश पाने वाले छात्रों के प्रतिशत में वृद्धि देखी गई है. जबकि केरल राज्य बोर्ड के लिए यह आंकड़ा गिरावट दर्शाता है.
सीयूईटी नाम की केंद्रीकृत आवंटन प्रवेश प्रणाली को अपनाने के साथ डीयू इस वर्ष कक्षा 12 के अंकों के आधार पर प्रवेश की एक दशक लंबी प्रणाली छोड़ चुका है. सीट आवंटन के पहले दो दौर से प्रवेश डेटा को देखे तो इसमें डीयू में लगभग 70,000 सीटों के लिए 62,825 प्रवेश हुए हैं. इससे पता चलता है कि प्रवेश के थोक (85.67%) अभी भी दो प्रमुख राष्ट्रीय बोर्डों की अधिकता है.
सीबीएसई के 51,797 और सीआईएससीई के 2,026 प्रवेश हुए है. यह लगभग पिछले साल के आंकड़े के बराबर है, जिसमें इन दोनों बोर्डों ने अंतिम 71,748 प्रवेशों में से 85.95% का गठन किया था।. इन दोनों बोर्डों के प्रवेश में हिस्सेदारी भी काफी हद तक संख्या के अनुपात में ही है. पंजीकृत उम्मीदवारों की संख्या की बात करें तो सीबीएसई आवेदकों का 81.34% हिस्सा था जबकि सीआईएससीई उम्मीदवारों ने 3.87% थी.
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खास बात यह है कि जब कोई राज्य बोर्डों के छात्रों को प्रवेश पर नजर डालता है तो पता चलता है कि पिछले साल के अंतर में कुछ राज्य उभरे हैं. केरल बोर्ड के उम्मीदवारों ने डीयू में हुए कुल प्रवेश का 2.33% हिस्सा बनाया था. इस साल दाखिले में उनकी हिस्सेदारी घटकर 0.62 फीसदी रह गई है. इसी तरह पिछले साल हरियाणा बोर्ड के उम्मीदवारों ने 3.44% दाखिले किए. यह आंकड़ा काफी कम होकर 0.77% पर आ गया है.
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इसके अलावा बिहार राज्य के बोर्ड के छात्रों की बात करें तो इस नई प्रक्रिया से उन्हें बड़ा फायदा हुआ है. बिहार बोर्ड के छात्रों ने पिछले साल 0.77% दाखिले हासिल किए थे. वहीं इस साल यह आंकड़ा 2.3% है. आपको बता दें कि इस बार पिछले वर्ष की तुलना में कम आवेदन किए गए थे.ॉ
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CUET के जरिए DU में दाखिले पर बिहार बोर्ड के छात्रों को हुआ बड़ा फायदा, केरल का घटा प्रतिनिधित्व