डीएनए हिंदी: दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 2019 में दर्ज जामिया हिंसा मामले में शरजील इमाम को बरी कर दिया है. शरजील इमाम पर आरोप था कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों को उन्होंने भड़काया था. जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मु्स्लिम यूनिवर्सिटी में उन्होंने भड़काऊ भाषण दिए थे, जिसके बाद पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसा भड़क गई थी. शरजील इमाम को 2021 में जमानत मिली थी.
शरजील इमाम पर आरोप थे कि उन्होंने 13 दिसंबर, 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया में और 16 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भड़काऊ भाषण दिया था. शरजील इमाम ने प्रदर्शनकारियों से धमकी देने के अंदाज में कहा था कि असम और पूर्वोत्तर के राज्यों को भारत से अलग कर दिया जाएगा.
हाई कोर्ट में पेश अपनी याचिया में शरजील इमाम ने कहा था कि ट्रायल कोर्ट यह नहीं समझ पा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक राजद्रोह का आरोप अब अस्तित्व में नहीं है और इसलिए राहत उसे दिया जाना चाहिए.
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क्या था सुप्रीम कोर्ट का राजद्रोह पर फैसला?
11 मई, 2022 को, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों द्वारा देश भर में राजद्रोह के अपराध के लिए FIR दर्ज करने, जांच करने और दूसरे फैसलों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब तक केंद्र सरकार कानून की समीक्षा नहीं कर लेती तब तक राजद्रोह कानून की धारा के तहत कोई नया FIR दर्ज न किया जाए. राजद्रोह कानून के तहत लंबित सभी मामलों में आगे कोई कार्रवाई ना हो और इस धारा के तहत दर्ज मामले में जेल में बंद लोग जमानत के लिए कोर्ट जा सकते हैं. शरजील इमाम ने इसी आदेश का जिक्र करके जमानत हासिल की है.
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शरजील इमाम जामिया हिंसा मामले में बरी, CAA प्रदर्शन के दौरान भड़काऊ बयान देने का था आरोप