डीएनए हिंदी: दिवाली से पहले ही दिल्ली की हवा जहरीली हो गई है. राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है. सुबह के समय जिस तरह से वायु प्रदूषण बढ़ा है उसे देखकर फिर से बीते वर्षों की यादें ताजा हो गई है. जब सुबह के समय प्रदूषण की वजह से लोगों ने घूमना छोड़ दिया था. दिन में भी लोग मास्क लगाकर बाहर निकलते थे. AQI यानी एयर क्वालिटी इंडेक्स लाल रंग में पहुंच गया था. यह बीते वर्ष की बातें है, लेकिन इस साल भी स्थिति बेहतर नहीं है. DNA TV Show में दिल्ली की हवा और प्रदूषण के स्तर को लेकर डिटेल जानकारी शेयर की गई है. दिल्ली के अलग- अलग इलाकों का AQI देखकर स्पष्ट है कि एक बार दिल्ली की हवा जहरीली हो चुकी है.
एयर क्वालिटी इंडेक्स के बारे में जानें सब कुछ
- 0 से 50 - अच्छा यानी कि साफ हवा है
- 51 से 100 - संतोषजनक
- 101 से 200 - मध्यम स्तर यानी मॉडरेट
- 201 से 300 खराब और दिल्ली के ज्यादातर इलाकों में इस वक्त प्रदूषण इसी श्रेणी में है.
- 301 से 400 बेहद खराब
- और 401 से 500 गंभीर स्तर
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दिल्ली के कई इलाकों में AQI लाल रंग में दिख रहा है. अब दिल्ली के कुछ इलाकों का एक्यूआई देखिए. दिल्ली में सोमवार की सुबह 7 बजे अलग-अलग क्षेत्रों का एक्यूआई नोट किया गया. इनमें से ज्यादातर जगहों पर हवा की क्वालिटी का स्तर बेहद खराब था.
- बवाना में सुबह 7 बजे AQI 330 यानी बहुत खराब श्रेणी में रहा.
- जहांगीरपुरी में AQI 348 दर्ज किया गया और यहां भी प्रदूषण बहुत ज्यादा था.
- ITO पर भी प्रदूषण खराब श्रेणी में था. यहां प्रदूषण का स्तर 312 दर्ज किया गया.
- नरेला में भी प्रदूषण का स्तर बहुत खराब श्रेणी में है. यहां सुबह 7 बजे AQI 330 था.
- मुंडका में 329, आर.के.पुरम में 326 और सोनिया विहार में AQI 325 था. यानी हर जगह AQI लाल निशान में दिख रहा है.
हर साल दिल्ली में क्यों होता है प्रदूषण का अटैक
आपके मन में ये सवाल भी आ रहा होगा कि हर वर्ष दिल्ली पर प्रदूषण का अटैक क्यों होता है ? हर वर्ष दिल्ली में प्रदूषण का लॉकडाउन क्यों लगता है ? अब हम आपको इसकी वजह भी बताते है. दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता खराब होने के पीछे कई कारण है.
- इनमें पहला कारण है दिल्ली में दौड़ते वाहन
- दूसरा कारण है फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं
- तीसरा कारण है कंस्ट्रक्शन की वजह से पैदा हो रही धूल
- और चौथा कारण है दिल्ली के आसपास के राज्यों में जल रही पराली
यही वह कारण है जिनकी वजह से दिल्ली में हर वर्ष प्रदूषण वाला लॉकडाउन लगता है. दिल्ली सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए फिर से 'Graded Response Action Plan' यानि GRAP के STAGE-2 को लागू किया है. इसमें अब कई बदलाव होंगे.
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- प्रदूषण को कम करने के लिए GRAP के Stage 2 में पार्किंग चार्ज बढ़ा दिया गया है.
- CNG/इलेक्ट्रिक बस, मेट्रो सेवाओं को बढ़ाने का निर्देश दिया गया है.
- दिल्ली के बड़े चौक पर ट्रैफिक पुलिस की तैनाती बढ़ेगी, ताकि जाम न लगे.
- हर दिन सड़कों की सफाई होगी जबकि हर दूसरे दिन पानी का छिड़काव किया जाएगा.
- होटल या रेस्टोरेंट में कोयले या तंदूर का इस्तेमाल नहीं होगा.
दिल्ली में अक्टूबर-नवंबर में हर वर्ष इसी तरह के कदम उठाए जाते हैं लेकिन इसके बावजूद समस्या कम नहीं होती है. अब हम आपको इसका सबसे बड़ा कारण बताते है.
गर्मी के समय प्रदूषित हवा पृथ्वी की सतह के पास होती है. उसका घनत्व कम होता है और तापमान ज्यादा होता है. इस वजह से प्रदूषित वायु आसानी से वातावरण की ऊपरी सतहों तक चली जाती है और प्रदूषण कम हो जाता है, लेकिन जैसे ही सर्दी दस्तक देती है वायु का घनत्व बढ़ता है और तापमान कम हो जाता है. इस वजह से प्रदूषण पृथ्वी की सतह के नजदीक ही फंसकर रह जाता है. इसके अलावा इस मौसम में हवा भी कम चलती है, इसलिए प्रदूषण छटता नहीं है.
अक्टूबर-नवंबर में धुंध भी शुरू हो जाती है. धुएं के साथ मिलकर धुंध स्मॉग बन जाती है. यह ना सिर्फ विजिबिलिटी को कम करती है, बल्कि कई तरह की बीमारियों का कारण भी बनती है. दिल्ली की जहरीली हवा लोगों की परेशानी बढ़ा रही है. अस्पतालों में और दिनों के मुकाबले मरीजों की संख्या 30-40 प्रतिशत बढ़ गई है जो लोग अभी तक ठीक थे, उन्हें प्रदूषण के चलते दिक्कतें होने लगी है.
पटाखों की वजह से होता है प्रदूषण
पहले कहा जाता था कि दिवाली की वजह से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ता है, लेकिन पटाखों पर रोक के बावजूद इसमें कोई कमी नहीं आई है. सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाती है प्रदूषण वाली पॉलिटिक्स, जिसमें हर वर्ष सिर्फ एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ा जाता है और आम लोगों की किस्मत में आता है सफेद जहर.
वायु प्रदूषण की वजह से हवा में सूक्ष्म कणों यानि PM 2.5 का खतरा भी बढ़ रहा है. PM 2.5, हवा में घुले ऐसे कण हैं जिनका आकार 2.5 Microns है. यह कितना गंभीर है, इसे आप इस बात से समझ सकते हैं कि इंसान के सिर के एक बाल का आकार 50 Microns होता है. यानी ये कण काफ़ी बारीक होते हैं और जब हम सांस लेते हैं तो ये हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं जिससे कई खतरनाक बीमारियां हो रही है.
प्रदूषण कई राज्यों की है बड़ी समस्या
सिर्फ दिल्ली में ही नहीं, बल्कि हरियाणा, वेस्टर्न यूपी में भी प्रदूषण बड़ी समस्या बन गया है. यहां भी AQI लाल निशान में नजर आ रहा है. दिल्ली में प्रदूषण अब इतनी बड़ी समस्या बन गया है कि दिल्ली के लोगों की उम्र तक घटा रहा है. Energy Policy Institute at the University of Chicago की Research Report के मुताबिक
- भारत दुनिया का दूसरा सर्वाधिक प्रदूषित देश है
- जबकि देश की राजधानी दिल्ली सर्वाधिक प्रदूषित शहर है.
- वायु प्रदूषण की वजह से दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोगों की उम्र औसतन 11.9 वर्ष तक घट रही है.
- जबकि पिछले वर्ष यानि 2022 में ये आंकड़ा 10 वर्ष का था.
दिल्ली की हवा में घुला ये जहर अभी छंटने वाला है. हर सांस के साथ लोग इसे अपने अंदर खिंच रहे है जो इंसान की उम्र भी घटा रहा है और बीमारियां भी दे रहा है.
शहर के AQI के हिसाब से खुद को प्रदूषण से बचाने के लिए करें ये उपाय
- घर से निकलने से पहले अपने इलाके का AQI जरूर चेक करें.
- अगर AQI 400 से ऊपर है तो कोशिश करें कि घर से बाहर ना निकलें।
-आउटडोर एक्सरसाइज, मॉर्निंग वॉक, मैराथन न करें और घर में ही इनडोर एक्सरसाइज करें
- अगर AQI 300 से 400 हो तो मास्क पहनकर ही घर से बाहर जाएं. आउटडोर एक्टिविटी बंद कर दें.
- AQI 200 से 300 के बीच है, तो सांस संबंधी या दिल के मरीज़ घर से बाहर ना जाएं. अगर बाहर जाना हो तो मास्क पहनकर ही निकलें.
- प्रदूषण बढ़ने के साथ ही वायरल और बैक्टीरियल इनफेक्शन बढ़ जाता है. कोशिश करें कि जरूरी वैक्सीनेशन करवा लें.
- अपने घर के आसपास पौधे लगाएं, घर के अंदर के वातावरण को भी जहां तक हो सके साफ रखें
वायु प्रदूषण पर हमें गंभीरता से विचार करना होगा क्योंकि ये हमें धीर धीरे नुकसान पहुंचाता है. यह ऐसा धीमा जहर है जो इंसान को धीरे धीरे बीमार बनाता है. यही वजह है कि वायु प्रदूषण विश्व में हर वर्ष लाखों लोगों की मौत का कारण बन रहा है. इसको रोकने के लिए सरकार को भी गंभीरता से कदम उठाने होंगे और हमें भी अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा.
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DNA TV Show: दिल्ली की जहरीली हवा घोंट रही दम, पराली है वजह या फिर कुछ और