डीएनए हिंदी: दिल्ली की सर्दियां अच्छे-खासे पैसों वालों का भी हाल बुरा कर देती हैं. ऐसे में बेघर लोगों की सुरक्षा के लिए रैन बसेरों (Rain Basera Delhi) को इंतजाम किया जाता है. दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना (V K Saxena) शुक्रवार रात को रैन बसेरों का हाल जानने निकले थे. यहां के हाल देख खुद वी के सक्सेना ही हैरान रह गए. उन्हें पता चला कि कश्मीरी गेट के पास रैन बसेरों में सिर्फ़ 600 लोगों के रहने की जगह है और 5,000 ठंड में खुले आसमान के नीचे रहने को मजूबर हैं. उपराज्यपाल वी के सक्सेना उस वक्त तो अवाक ही रह गए जब उन्हें बताया गया कि टॉयलेट न होने की वजह से यहां से सैकड़ों लोग सुबह यमुना नदी के किनारे शौच करने जाते हैं.
रैन बसेरों का जायजा लेने पहुंचे वी के सक्सेना ने पाया कि शौचालयों और जगह की कमी के कारण कई लोग यमुना किनारे शौच करने और फुटपाथ पर सोने को मजबूर हैं. एलजी ऑफिस के मुताबिक, वी के सक्सेना ने शुक्रवार रात कश्मीरी गेट के पास स्थित रैन बसेरे का दौरा किया और वहां रहने वाले लोगों से बात की. वी के सक्सेना ने लोगों से उन्हें दी जा रही सुविधाओं के बारे में पूछा और इन आश्रय गृहों में व्यवस्थाओं और सुविधाओं का जायजा लिया.
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रैन बसेरों में 600 की जगह, 5000 लोग बेघर
दिल्ली के रैन बसेरों में रहने वाले लोगों ने उन्हें बताया कि उनमें से अनेक सड़क के किनारे और फुटपाथ पर सोने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि रैन बसेरों में केवल 600 लोग रह सकते हैं और क्षेत्र में उनके जैसे लगभग 5,000 बेघर लोग हैं. उन्हें बताया गया कि रैन बसेरों में केवल वहां रजिस्टर्ड लोगों को ही भोजन उपलब्ध कराया जाता है, जिसका मतलब है कि हजारों अन्य लोगों को रात के खाने के लिए कहीं और जाने के लिए मजबूर होना पड़ता है.
Visited Night Shelters at ISBT late night yesterday. Even as facilities of sleeping overnight for the homeless are satisfactory, the numbers are highly skewed to their disadvantage, with thousands yet sleeping on pavements. Lack of toilets force them to defecate & bathe in open. pic.twitter.com/CR4R5Cgz6p
— LG Delhi (@LtGovDelhi) December 24, 2022
अधिकारियों ने कहा कि लोगों ने रैन बसेरों में शौचालयों की भारी कमी के बारे में भी बताया, जिससे उन्हें यमुना किनारे खुली जगहों का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर होना पड़ता है. इस संबंध में एक अधिकारी ने बताया कि उपराज्यपाल ने रैन बसेरों में जगह और इसके आसपास शौचालयों की कमी पर गहरी चिंता व्यक्त की. हालांकि, उन्होंने रैन बसेरों के अंदर पर्याप्त संख्या में रजाई/कंबल और सफाई की सराहना की. अधिकारी ने कहा, 'उपराज्यपाल ने हैरानी व्यक्त की कि हजारों लोग एनसीआर में खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं, जबकि देश के दूरदराज के इलाके खुले में शौच मुक्त भारत के लक्ष्य को प्राप्त कर रहे हैं.'
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G-20 सम्मेलन से पहले हो रही तैयारी
एलजी ऑफिस के अनुसार, वी के सक्सेना ने कहा है कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि मास्टर प्लान दिल्ली-2041 में बेघरों को घर देने और उन्हें बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने का प्रावधान हो. अधिकारी ने कहा कि वह इसे सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्री के साथ इस मामले को उठाएंगे कि सड़कों पर सोने के लिए मजबूर लोगों को तुरंत शहर के अन्य स्थानों पर सोने के विकल्प उपलब्ध कराए जाएं.
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वी के सक्सेना ने इन लोगों के काम करने की जगह के पास ही रैन बसेरों की आवश्यकता पर भी बल दिया, जिनमें से अधिकतर प्रवासी श्रमिक हैं. अधिकारी ने कहा कि उपराज्यपाल ने क्षेत्र में भिखारियों और नशा करने वालों के पुनर्वास के लिए एक व्यापक योजना की भी बात कही. सरकार के मुताबिक, अगले साल सितंबर में यहां होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन के मद्देनजर कश्मीरी गेट आईएसबीटी के पास रहने वाले 1,000 से अधिक भिखारियों को जनवरी में कहीं और रैन बसेरों में ट्रांसफर कर दिया जाएगा.
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रैन बसरों का हाल देखने निकले थे दिल्ली के LG, लोगों को यमुना किनारे शौच करते देख रह गए हैरान