डीएनए हिंदी: केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की बेटी और उनके परिवार को गोवा बार विवाद में क्लीन चिट मिल गई है. दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने कांग्रेस नेताओं को केंद्रीय मंत्री के परिवार का नाम घसीटने पर नसीहत दी है. हाई कोर्ट ने कहा है कि कांग्रेस नेता जयराम रमेश, पवन खेड़ा, नेट्टा डिसूजा के साथ कई दूसरे नेताओं ने स्मृति ईरानी (Smriti Irani) और उनकी बेटी पर 'झूठे तीखे और आक्रामक व्यक्तिगत हमले' करने की साजिश रची है. स्मृति ईरानी और उनकी बेटी जोईश ईरानी न तो गोवा में रेस्तरां की मालिक हैं और न ही उन्होंने कभी वहां खाद्य और पेय पदार्थों के लाइसेंस के लिए आवेदन किया था. उन पर बस आरोप लगाए हैं.'
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि कि कांग्रेस के तीन नेताओं के बयान बदनाम करने के लिए लगाए गए हैं. इन्हें दुर्भावनापूर्ण तरीके से अंजाम दिया गया है. ये सभी आरोप फर्जी हैं, जिनका मकसद जानबूझ कर ईरानी को व्यापक सार्वजनिक उपहास का पात्र बनाना और उनकी बेटी के नैतिक चरित्र और सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचाना था.
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सोशल मीडिया से हटाए जाएं सभी पोस्ट
कोर्ट ने अपने आदेश में दीवानी मानहानि मामले में तीनों कांग्रेसी नेताओं को समन जारी किए थे. हाई कोर्ट ने उनसे केंद्रीय मंत्री और उनकी बेटी के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर ट्वीट और अन्य सोशल मीडिया पोस्ट को हटाने के लिए भी कहा है.
कहीं भी नहीं है ईरानी परिवार का जिक्र
जस्टिस मिनी पुष्कर्णा ने अपने 14 पन्नों के आदेश में कहा, 'मैंने रिकॉर्ड में रखे गए अलग-अलग दस्तावेज, खासकर, गोवा सरकार, आबकारी आयुक्त कार्यालय द्वारा 21 जुलाई 2022 को जारी कारण बताओ नोटिस देखा है, जो किसी एंथोनी डिगामा को संबोधित है, न कि वादी (ईरानी) या उनके परिवार के सदस्यों को.'
लाइसेंस के लिए ईरानी परिवार ने नहीं किया था आवेदन
जस्टिस पुष्कर्णा ने कहा, 'रिकॉर्ड में उपलब्ध दस्तावेजों पर विचार करते हुए यह स्पष्ट दिखता है कि कोई ऐसा लाइसेंस नहीं है, जो कभी वादी या उसकी बेटी के पक्ष में जारी किया गया हो. वादी और उसकी बेटी रेस्तरां की मालिक नहीं हैं. वादी ने प्रथमदृष्टया यह भी स्थापित किया है कि स्मृति ईरानी या उनकी बेटी ने कभी लाइसेंस के लिये आवेदन नहीं किया था.'
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कोर्ट ने कहा, 'न तो रेस्तरां और न ही जिस भूमि पर रेस्तरां मौजूद है, उसपर वादी या उसकी बेटी का स्वामित्व है, यहां तक कि गोवा सरकार द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस वादी या उसकी बेटी के नाम पर नहीं है. वादी ने अपने हलफनामे में भी इन तथ्यों की पुष्टि की है.'
स्मृति ईरानी ने किया था कोर्ट का रुख
केंद्रीय मंत्री ईरानी ने उनके और उनकी 18 वर्षीय बेटी के खिलाफ कथित रूप से निराधार और झूठे आरोप लगाने को लेकर मानहानि का वाद दायर किया है. हाई कोर्ट ने कहा कि चूंकि वादी भारत सरकार में एक मंत्री के रूप में एक सम्मानित पद पर आसीन है और अपने सार्वजनिक पद की प्रकृति को देखते हुए, सार्वजनिक क्षेत्र में उसके बारे में किसी भी जानकारी की चर्चा होती है और उसका विश्लेषण किया जाता है.
कांग्रेस नेताओं को पोस्ट हटाने का निर्देश
कोर्ट ने अंतरिम आदेश में निर्देश दिया कि स्मृति और उनकी बेटी के खिलाफ आरोप लगाने वाली सामग्री सोशल मीडिया से हटाई जाए. अदालत ने निर्देश दिया कि प्रतिवादी अगर 24 घंटों के भीतर आरोपों से जुड़े ट्वीट, रीट्वीट, पोस्ट, वीडियो और तस्वीर हटाने में असफल रहते हैं, तो सोशल मीडिया मंच ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब स्वयं इससे संबंधित सामग्री हटा दें.
क्या था जोइश इरानी पर आरोप?
कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया था कि स्मृति ईरानी की बेटी जोइश ईरानी गोवा में एक बॉर की ऑनर हैं. यह बार अवैध है. कांग्रेस नेताओं ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से स्मृति को मंत्रिमंडल से हटाने की मांग की थी. अब ईरानी परिवार को कोर्ट से क्लीन चिट मिल गई है.
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स्मृति ईरानी या उनकी बेटी के नाम पर किसी बार का लाइसेंस नहीं, दिल्ली हाईकोर्ट से पड़ी कांग्रेस को फटकार