डीएनए हिंदी: भारत में इच्छा मृत्यु (Euthanasia) पर नई बहस एक बार फिर छिड़ गई है. एक महिला ने दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) का दरवाजा खटखटाया है. महिला ने मांग की है कि उसका दोस्त गंभीर रूप से बीमार है. उसे सूजन की गंभीर बीमारी है. इच्छा मृत्यु के लिए वह स्विट्जरलैंड जाना चाहता है. महिला चाहती है कि उसे स्विट्जरलैंड (Switzerland) जाने से रोक दिया जाए.

याचिकाकर्ता की मांग है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि उसकी मित्र को इमिग्रेशन क्लियरेंस न दी जाए. शख्स म्यूजिक इनेलो माईलाइटिस नाम की बीमारी से पीड़ित है. महिला को आशंका है कि वह मेडिकल हेल्प के जरिए इच्छा मृत्यु चुन सकता है. सीधे अर्थों में यह चिकित्सीय आत्महत्या है. 

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क्या है म्यूजिक इनेलो माईलाइटिस बीमारी?

म्यूजिक इनेलो माईलाइटिस एक तरह की जटिल, दुर्बल करने वाली और लंबी अवधि तक थकान का कारण बनने वाली और तंत्रिका संबंधी बीमारी है. याचिकाकर्ता के दोस्त में 2014 में पहली बार बीमारी का लक्षण उभरा था. उसके बाद उसने पूरी तरह से बिस्तर पकड़ लिया है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि उसके मित्र का पहले एम्स में इलाज चल रहा था लेकिन अलग-अलग वजहों से यह महामारी के दौरान जारी नहीं रह सका. 

इच्छा मृत्यु की जिद पर परेशान हैं घरवाले

अधिवक्ता सुभाष चंद्रन की ओर से दायर याचिका में कहा गया है, 'प्रतिवादी संख्या 3, याचिकाकर्ता के मित्र को भारत में या विदेश में बेहतर उपचार प्रदान करने के लिए कोई आर्थिक बाधा नहीं है. अब वह इच्छामृत्यु के लिए जाने के अपने फैसले पर अडिग है. उसके इस फैसले से उसके बुजुर्ग माता-पिता का जीवन बुरी तरह प्रभावित है.'

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याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया है कि केंद्र को एक मेडिकल बोर्ड का गठन करने का निर्देश दिया जाए जिससे उसके मित्र की चिकित्सा स्थिति की जांच की जा सके और उसे जरूरी चिकित्सा सहायता भी प्रदान की जाए.  

क्या है इच्छा मृत्यु से जुड़ा भारत में कानून?

भारत में इच्छा-मृत्यु को कानूनी मान्यता नहीं प्राप्त है. IPC की धारा 309 आत्महत्या को अपराध मानती है. इच्छा मृत्यु को भी इसी से जोड़कर देखा जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने निष्क्रिय इच्छामृत्यु (Passive Euthanasia) की इजाजत दी है. कोर्ट ने इसे अपराध नहीं माना था.

क्या है सरकार का तर्क?

सुप्रीम कोर्ट ने पैसिव इच्छामृत्यु को वैध बनाने के लिए एक याचिका पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया था. केंद्र सरकार ने आशंका जताई थी कि इच्छा मृत्यु से जुड़े कानूनों का दुरुपयोग हो सकता है. 

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केंद्र सरकार ने  कोर्ट को बताया था कि मामले में गठित की गई कमिटी ने विशेष परिस्थितियों में पैसिव यूथेनेशिया को सही ठहराया था. अगर कोई मरीज कोमा में पड़ा है तो उसका लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटाया जा सकता है. सरकार इच्छा मृत्यु का समर्थन नहीं करती है.

क्या है एक्टिव और पैसिव यूथेनेशिया?

एक्टिव यूथेनेशिया में गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को जहर का इंजेक्शन या आसान तरीके से मौत दी जाती है. पैसिव यूथेनेशिया में परिवार की इजाजत से उनका लाइफ सपोर्ट सिस्टम डॉक्टर हटा देते हैं. लोगों का कहना है कि ऐसी स्थिति में जब मरीज अपना कंसेंट न दे सके, उसे मौत देना, हत्या ही है. चाहे वह किसी भी प्रक्रिया से मौत दी जाए.

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किन देशों में अपराध नहीं है इच्छा मृत्यु? 

अमेरिका के कुछ राज्यों में इच्छा मृत्यु की इजाजत है. यूरोप के कुछ देशों में भी यूथेनेशिया की इजाजत है. नीदरलैंड्स, स्विट्जरलैंड और बेल्जियम जैसे कुछ देश ऐसे हैं जहां पैसिव यूथेनेशिया गैरकानूनी नहीं है.

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दिल्ली हाई कोर्ट में इच्छा मृत्यु को लेकर याचिका दायर, क्या है पैसिव यूथेनेशिया,
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दिल्ली हाईकोर्ट में इच्छा मृत्यु पर याचिका दायर, क्या है पैसिव यूथेनेशिया, क्या है देश में कानून?