दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को कोचिंग संस्थानों को लेकर अहम निर्देश दिए हैं. हाई कोर्ट ने कहा कि 20 से अधिक छात्रों वाले कोचिंग संस्थानों को रिहायशी इलाकों से हटाया जाना चाहिए और उनका संचालन कमर्शियल इमारतों में होना चाहिए. बीते कुछ सालों में कोचिंग संस्थानों में आग लगने की घटनाओं के बाद हाई कोर्ट की यह टिप्पणी बेहद अहम मानी जा रही है. पिछले ही दिल्ली के मुखर्जी नगर में आग लगने की कई घटनाएं सामने आई थीं जिसमें कुछ छात्र बुरी तरह घायल भी हुए थे. इन मामलों में देखा गया था कि कोचिंग संस्थानों में बचाव के उपाय बेहद कम थे और फायर सेफ्टी उपकरण भी नहीं थे.
हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच कोचिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (सीएफआई) की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस बेंच ने टिप्पणी की है कि रिहायशी इमारतों से संचालित हो रहे कोचिंग संस्थान छात्रों के जीवन को खतरे में डालकर चल रहे हैं क्योंकि वहां पर आवश्यक सुरक्षा संरचना जैसे कि उतरने के लिए दो सीढ़ियां नहीं हैं.
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कोर्ट ने की मौखिक टिप्पणी
अदालत ने मौखिक टिप्पणी की. उसने कहा, "आपकी कक्षाओं में सैकड़ों छात्र पढ़ रहे होंगे. आपको आवासीय भवन में नहीं होना चाहिए. किसी कमर्शियल इमारत में चले जाएं." इस बेंच में न्यायमूर्ति पी.एस.अरोड़ा भी शामिल हैं. अदालत ने कहा, "आप रिहायशी इलाके से संचालन नहीं कर सकते. जहां 20 या इससे अधिक छात्र हैं, आप बाहर (रिहायशी इलाके से) चले जाएं."
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याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष शैक्षिक भवनों की परिभाषा में कोचिंग संस्थानों की इमारत को शामिल करने पर आपत्ति जताई थी. नई परिभाषा के तहत ऐसी इमारतों में अग्नि सुरक्षा आदि के लिए कुछ विशिष्ट उपायों को अपनाने की आवश्यकता होती है. फरवरी 2020 में, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने अपने एकीकृत भवन उपनियम-2016 (यूबीबीएल-2016) को संशोधित किया. इसमें 'शैक्षिक भवनों' की परिभाषा में कोचिंग संस्थानों की इमारत को भी शामिल किया गया.
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मुखर्जी नगर का क्या होगा? HC ने कहा- रिहायशी इलाकों में न चलाएं कोचिंग