डीएनए हिंदीः कुतुब मीनार (Qutub Minar) परिसर स्थित मस्जिद में नमाज अदा करने पर रोज के एएसआई (ASI) के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई से दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने इनकार कर दिया है. याचिका में कहा गया था कि यह वक्फ बोर्ड की संपत्ति है और यहां काफी वक्त से नमाज पढ़ी जा रही है. इसके बावजूद 15 मई को अचानक से भारतीय पुरतत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई ने वहां नमाज पढ़ने पर रोक लगा दी.
जल्द सुनवाई की मांग से इनकार
हाईकोर्ट ने इस मामले में जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है. कोर्ट का कहना है कि इस मामले को हम सुनवाई के लिए आज लिस्ट नहीं कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि अगर गर्मी की छुट्टियों के बाद इस मामले की सुनवाई चाहते हैं तो इसे रजिस्ट्रार के सामने सुनवाई के लिए रखें.
पर्यटन विभाग का क्या कहना है?
दिल्ली पर्यटन विभाग के अनुसार, कुतुब मीनार 73 मीटर ऊंची जीत की मीनार (टावर ऑफ विक्टरी) है, जिसे दिल्ली के अंतिम हिंदू साम्राज्य की हार के तुरंत बाद कुतुब-उद-दीन ऐबक ने साल 1193 में बनवाया गया था. हालांकि साकेत कोर्ट ने कुतुब मीनार से गणेश की दो मूर्तियों को हटाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की थी. इस मामले में कोर्ट ने कहा कि हम अपील करने वाले की चिंता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.
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क्या है मामला
कुबुतमीनार को लेकर कुछ ऐसे तथ्य सामने आए हैं जिन्हें नकारा नहीं जा सकता है. पुरातत्व विशेषज्ञों ने, इतिहासकारों ने अब साक्ष्यों के आधार पर कुतुबमीनार से जुड़े कुछ सवाल उठाए हैं. कुतुबमीनार के प्रांगण में शिलालेख पर कई कड़वे सच दर्द हैं. दावा किया गया है कि 27 मंदिरों के मलबे से यह इमारत बनाई गई है. कुतुबमीनार में मंदिरों की घंटियों की आकृति बनी हुई है. यहां भगवान गणेश की प्रतिमाएं हैं. खंभों पर हिदूं देवी देवताओं की आकृतियां बनी हुई हैं.
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कुतुब मीनार स्थित मस्जिद में नमाज पर रोक रहेगी जारी, मामले की जल्द सुनवाई से HC ने किया इनकार