दिल्ली में 70 सदस्यों वाली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने लगे हैं. अब तक के रुझानों और नतीजों के मुताबिक सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी इस बार बड़ी हार की ओर बढ़ती हुई दिख रही है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक भाजपा 48 और आप 22 सीटों पर आगे चल रही है. पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया जैसे बड़े नेता चुनाव हार गए हैं. 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता में भाजपा की वापसी की संभावना देखते हुए अगले मुख्यमंत्री के नाम को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. भाजपा ने चुनाव से पहले अपना सीएम कैंडिडेट घोषित नहीं किया था.
सीएम पद के लिए बीजेपी के संभावित उम्मीदवारों में पहला नाम वीरेंद्र सचदेवा का है. सचदेवा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं. विधानसभा चुनाव की रणनीति उनके ही नेतृत्व में बनाई गई थी. अपनी संगठन क्षमता के कारण सचदेवा को पार्टी आलाकमान का समर्थन भी हासिल है.
यह भी पढ़ें: पटपड़गंज सीट पर दिखा अलग ही नजारा, अवध ओझा से खुद मिलने पहुंचे रवींद्र नेगी, देखें वीडियो
रोहिणी सीट से चुनाव जीते विजेंद्र गुप्ता का नाम भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल है. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गुप्ता पार्टी के कद्दावर नेताओं में शामिल हैं. लंबे समय से आरएसएस से जुड़े रहे गुप्ता एमसीडी में भी रह चुके हैं और दिल्ली की रग-रग से वाकिफ हैं.
यह भी पढ़ें: Delhi Election 2025: दिल्ली में भाजपा ने कैसे बदल दी बाजी, रुझानों में बहुमत की ओर बढ़ रही, जानिए 5 बड़े कारण
दिल्ली के मुख्यमंत्री रह चुके साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा इस चुनाव में जॉएंट किलर साबित हुए हैं. उन्होंने आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल को हराया है. प्रवेश वर्मा को इसलिए भी सीएम पद का दावेदार माना जा रहा है क्योंकि वे नई दिल्ली सीट से जीते हैं. इससे पहले अरविंद केजरीवाल और शीला दीक्षित इसी सीट से जीतकर सीएम बन चुके हैं.
यह भी पढ़ें: Delhi Election Result 2025: दिल्ली चुनाव के नतीजों पर उमर अब्दुल्ला ने किया तंज, 'ऐसे ही लड़ो आपस में...'
दिल्ली में भाजपा की जीत में पूर्वांचली वोट बैंक की अहम भूमिका रही है. पूर्वांचल के वोटर्स को भाजपा के पाले में लाने में लोकसभा सांसद मनोज तिवारी की भूमिका अहम है. दिल्ली की सियासत में तिवारी भाजपा की ओर से सबसे बड़ा पूर्वांचली चेहरा हैं. भाजपा तिवारी को मुख्यमंत्री बनाकर इस वोट बैंक को साधने की रणनीति अपना सकती है.
मुस्तफाबाद सीट से जीते मोहन सिंह बिष्ट सबसे ज्यादा अंतर से जीतने वाले उम्मीदवारों में शामिल हैं. मुसलमानों की ज्यादा आबादी वाली सीट पर बिष्ट की एकतरफा जीत बेहद अहम है. खासकर इसलिए भी कि वे पहली बार इस सीट से चुनाव लड़े थे. पूर्वांचल की तरह दिल्ली में उत्तराखंड के वोटर्स भी बड़ी तादाद में हैं जो भाजपा के परंपरागत वोटर माने जाते हैं. इस लिहाज से देखें तो मोहन सिंह बिष्ट भी मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल हो सकते हैं.
इनके अलावा कुछ ऐसे नाम भी हैं जो ज्यादा चर्चा में नहीं हैं, लेकिन भाजपा उन पर दांव लगा सकती है. इनमें सबसे आगे बासुरी स्वराज हैं. बासुरी पहली बार लोकसभा की सांसद हैं. उनके पास राजनीति का ज्यादा अनुभव नहीं है, लेकिन वे युवा और लोकप्रिय चेहरा हैं. वैसे भी, भाजपा अक्सर चौंकाने वाले चेहरों को चुनती है. बासुरी इस पैमाने पर फिट बैठती हैं.
- Log in to post comments

Delhi Election Result: 27 साल बाद दिल्ली की सत्ता पर भाजपा का कब्जा, अगले सीएम को लेकर चर्चा में ये नाम