चुनाव आयोग ने दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीख का ऐलान कर दिया है. 5 फरवरी को वोट डाले जाएंगे और 8 फरवरी को नतीजे आएंगे. इस बीच मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने चुनाव में धांधली को लेकर भी विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने कहा कि वोट डालने से लेकर काउंटिग तक कोई गड़बड़ी नहीं होगी. वोट डालने से पहले EVM की पूरी जांच की जाती है. साथ ही हर पोलिंग बूथ पर राजनीतिक पार्टियों के एजेंट होते हैं. उनकी निगरानी में चुनाव की पूरी प्रक्रिया होती है. इस दौरान फॉर्म 17-C भी भरवाया जाता है. आइये जानते हैं ये क्या होता है?
चीफ इलेक्शन कमिश्नर राजीव कुमार ने कहा कि चुनाव में धांधली के जो आरोप लगाए जाते हैं वो बेबुनियाद होते हैं. क्योंकि वोटिंग के दिन हर बूथ पर राजनीतिक पार्टियों के पोलिंग एजेंट होते हैं. वोटिंग शुरू होने से पहले मतदान अधिकारी हर एजेंट को EVM को खोलकर दिखाते हैं. इस दौरान कोई आपत्ति होती है तो उस मशीन को नहीं लिया जाता. फिर जब वोटिंग खत्म हो जाती है तो उसे सील करने से पहले सभी एजेंट को चेक कराया जाता है.
फॉर्म 17-C में क्या भरी जाती है डिटेल्स?
मतदान खत्म होने के बाद EVM में कितने वोट पड़े इसकी जानकारी एक फॉर्म में भरी जाती है. इस फॉर्म को 17C कहते हैं. इस फॉ्र्म में डिटेल्स भरने के दौरान सभी पार्टियों के बूथ एजेंट मौजूद रहते हैं. मतदान अधिकारी ईवीएम में कितने वोड पड़े, उसमें कितनी बैटरी बची समेत अन्य जानकारी फॉर्म 17C में भरकर उसे सील कर देते हैं. इस जानकारी की एक कॉपी सभी पोलिंग एजेंट को दी जाती है.
मतगणना के दिन यह फॉर्म काम आता है. स्ट्रांग रूप में सील बंद रखे EVM को काउंटिंग से पहले सभी एजेंट को दिखाया जाता है. एजेंट अपने फॉर्म 17C में भरे आंकड़े को ईवीएम से मिलान करता है. मिलान सही पाए जाने के बाद ईवीएम को काउंटिंग के लिए खोला जाता है. इस तरह चुनाव के दौरान किसी भी तरह की धांधली का सवाल नहीं उठता है. सारी प्रक्रिया चुनाव को पारदर्शी बनाने के लिए पार्टियों के एजेंट के सामने होती है.
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क्या होता है फॉर्म 17C? जिसकी वजह से EVM में नहीं हो सकती गड़बड़ी, काउंटिंग दिन आता है काम