दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election 2025) के लिए तारीखों का ऐलान हो गया है. चुनाव प्रचार के दौरान सभी प्रमुख पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रही हैं. कांग्रेस के लिए यह चुनाव अपनी साख बचाने का मौका है. हालांकि, पार्टी के नेताओं की अंदर चल रही गुटबाजी और विवादित बयान आलाकमान की टेंशन बढ़ा रहे हैं. अजय माकन के आप संयोजक अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) पर दिए बयान से कांग्रेस अब बैकफुट पर है. डैमेज कंट्रोल के लिए नए सिरे से रणनीति बनाई जा रही है.
कांग्रेस अध्यक्ष और राहुल गांधी के फैसले का इंतजार
अजय माकन ने अरविंद केजरीवाल को एंटी-नेशनल और फर्जीवाल कहा था. इस बयान के बाद माकन खुद पार्टी के अंदर घिर गए हैं. दूसरी ओर इंडिया अलायंस के सभी बड़े नेता और दल दिल्ली चुनाव में खुलकर अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के साथ हैं. ऐसे में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी को नई रणनीति पर काम करने के लिए एक रिपोर्ट सौंपी गई है.
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माना जा रहा है कि कांग्रेस अब सीधे अरविंद केजरीवाल पर कोई हमला नहीं करेगी. दिल्ली में केरल की तर्ज पर चुनाव लड़ा जाएगा. इसमें नेता या व्यक्ति के बजाय पार्टी बनाम पार्टी का विरोध होगा. अंतिम फैसला खरगे और राहुल गांधी ही लेंगे.
कांग्रेस के लिए साख बचाने की चुनौती
दिल्ली चुनाव में कांग्रेस के लिए इस बार साख बचाने की चुनौती है. पार्टी को पिछले विधानसभा चुनाव में महज 4.26 फीसदी वोट ही मिले थे. कांग्रेस ने इस बार दिल्ली में महिलाओं के लिए डायरेक्ट कैश ट्रांसफर, युवाओं के लिए रोजगार गारंटी जैसे वादे किए हैं. कांग्रेस की कोशिश अपने वोट बैंक को बढ़ाने के साथ ही पुराने वोटर्स का फिर से भरोसा जीतना भी है.
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अरविंद केजरीवाल पर बयान देकर अजय माकन ने बढ़ाई कांग्रेस की मुश्किलें, खरगे-राहुल लेंगे एक्शन?