दिल्ली विधानसभा चुनाव (Delhi Assembly Election 2025) के लिए तारीखों का ऐलान हो गया है. 5 तारीख को वोट डाले जाएंगे और 8 को नतीजे घोषित होंगे. कांग्रेस ने मतदाताओं को लुभाने के लिए महिलाओं के खाते में डायरेक्ट कैश ट्रांसफर से लेकर युवाओं के लिए रोजगार गारंटी का भी ऐलान किया है. हालांकि, कांग्रेस के लिए दिल्ली में अपनी खोई जमीन पाना बहुत मुश्किल है. पार्टी के पास न तो पहले की तरह सक्रिय संगठन है और न ही शीला दीक्षित की तरह कोई बड़ा चेहरा. पार्टी के लिए इस चुनाव में कई चुनौतियां हैं.
कांग्रेस के सामने सम्मान बचाने की चुनौती
दिल्ली विधानसभा चुनाव इस बार कांग्रेस के लिए करो या मरो की चुनौती है. 2020 चुनाव नतीजे में पार्टी का प्रदर्शन शर्मनाक था. 15 साल दिल्ली में राज करने वाली पार्टी को महज 4.26 फीसदी वोट मिले थे. पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई और 63 सीटों पर पार्टी की जमानत जब्त हो गई थी. दिल्ली में कांग्रेस के सिर्फ 3 उम्मीदवार अपनी जमानत बचा पाए थे.
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लोकसभा चुनाव में पार्टी ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन किया था. पार्टी को 18 फीसदी के करीब वोट मिले थे. कांग्रेस के सामने अपने वोट बैंक को बचाने की चुनौती है. आम आदमी पार्टी के गठन के बाद से पार्टी का मजबूत वोट बैंक आप (AAP) के खाते में चला गया है.
अरविंद केजरीवाल के सामने नहीं है कोई मजबूत चेहरा
आम आदमी पार्टी के पास मुख्यमंत्री के तौर पर अरविंद केजरीवाल का चेहरा है. दिल्ली शराब नीति मामले में जमानत पर बाहर आने के बाद केजरीवाल ने पद से इस्तीफा जरूर दिया है, लेकिन वह खुद और आप कार्यकर्ता भी आतिशी को टेंपररी सीएम बता रहे हैं. दूसरी ओर कांग्रेस के पास मुकाबले में ऐसा कोई सर्वमान्य चेहरा नहीं है जिसके साथ कार्यकर्ता खड़े हों और जिसके पास अपना बड़ा जनाधार भी हो.
संगठन और नेतृत्व का संकट
कांग्रेस के सामने सिर्फ उम्मीदवारों के चयन और चुनाव प्रचार के साथ बीजेपी और आम आदमी पार्टी की ही चुनौती नहीं है. पार्टी के अंदर ही कई मुद्दों पर संघर्ष चल रहा है. पार्टी के सामने संगठन की चुनौती है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अरविंदर सिंह लवली ने इस्तीफा दे दिया. पार्टी के अंदर संदीप दीक्षित गाहे-बगाहे विरोध के स्वर उठाते रहते हैं. अजय माकन के पास अपना खेमा हैं. ऐसे में कार्यकर्ताओं में जोश फूंकना शीर्ष नेतृत्व के लिए बड़ा संकट साबित होगा.
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महिलाओं के लिए कैश ट्रांसफर, युवाओं के लिए रोजगार गारंटी, लेकिन कांग्रेस के लिए कठिन है दिल्ली का दंगल?