डीएनए हिंदी: नागालैंड (Nagaland) में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस (Congress) सेक्युलर दलों को लामबंद करने की कोशिशों में जुट गई है. विधानसभा चुनाव 2023 में होने वाले हैं लेकिन कांग्रेस चाहते हैं कि सभी सेक्युलर दल मिलकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ चुनाव लड़ें. कांग्रेस धर्मनिरपेक्ष गठबंधन करना चाहती है, जिससे बीजेपी को विधानसभा चुनावों में पटखनी दी जा सके.
विपक्षी कांग्रेस अगले साल की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2023) से पहले समान विचारधारा वाले दलों के साथ 'धर्मनिरपेक्ष गठबंधन' करना चाहती है. प्रदेश अध्यक्ष के थेरी ने मंगलवार को कहा कि धर्मनिरपेक्ष गठबंधन से ही सत्तारूढ़ सरकार को मात दी जा सकती है.
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क्या 2023 में कांग्रेस की हो सकेगी वापसी?
कांग्रेस ने नागालैंड में तब सत्ता संभाली थी जब यह राज्य आतंकवाद के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा था. इस दौरान राज्य के कई हिस्से उग्रवाद की चपेट में थे. 15 वर्षों के कठिन कार्यकाल के बाद कांग्रेस पार्टी की हार हुई थी. कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनावों में अन्य पार्टियों के साथ कुल 60 सीटों में से 18 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे एक भी सीट नहीं मिली. ऐसे में अहम सवाल यह है कि अगर कांग्रेस सेक्युलर दलों को साधने में कामयाब हो जाती है तो भी बीजेपी के खिलाफ बढ़त हासिल कर सकेगी या नहीं.
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अकेले बीजेपी का मुकाबला करने से कांग्रेस को डर क्यों?
के थेरी ने कहा कि मौजूदा राजनीति को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए समान विचारधारा वाले दलों के साथ 'धर्मनिरपेक्ष गठबंधन' की जरूरत है. हालांकि, उन्होंने उन पार्टियों के नाम का खुलासा नहीं किया जिनके साथ उनकी पार्टी प्रस्तावित 'धर्मनिरपेक्ष गठबंधन' बनाएगी.
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राज्य कांग्रेस प्रमुख के थेरी ने सभी मुस्लिम विरोधी और महिला विरोधी ताकतों के खिलाफ लड़ने के लिए पार्टी में फिर से शामिल होने का आग्रह किया.उन्होंने कहा कि बाधाओं को दूर करने और नागा राजनीतिक मुद्दे को हल करने के लिए नागालैंड में एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक सरकार जरूरी है.
NDPP-BJP के सीट बंटवारे पर क्या बोली कांग्रेस?
के थेरी ने दावा किया कि विधानसभा चुनाव से छह महीने पहले एनडीपीपी-भाजपा सीट बंटवारा समझौता नगा मुद्दे के राजनीतिक समाधान से लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश है, जिसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था.
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के थेरी ने कहा कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव में लगभग 40 उम्मीदवार उतारेगी, जो अगले साल फरवरी में होने की उम्मीद है. यह कहते हुए कि बीजेपी को छोड़कर लगभग सभी राज्य के राजनीतिक दल धर्मनिरपेक्ष हैं. उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) भी इसके मोर्चे में शामिल हो सकती है. अगर वे अपनी धर्मनिरपेक्ष छवि को बनाए रखना चाहते हैं और राज्य का कल्याण चाहते हैं.
जूनियर पार्टी से भी कांग्रेस को लग रहा है डर
42 विधायकों के साथ, एनडीपीपी विपक्ष-रहित नागालैंड सरकार का नेतृत्व करती है, जहां 12 सदस्यों वाली बीजेपी 2018 से जूनियर पार्टनर रही है. समाचार एजेंसी IANS के मुताबिक नागा राजनीतिक मुद्दे का समाधान नागालैंड में सबसे शीर्ष विषय है और राज्य सरकार और सभी दल विधानसभा चुनाव से पहले दशकों पुराने मुद्दे को हल करने की मांग कर रहे हैं.
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नागालैंड में विधानसभा चुनावों से पहले सेक्युलर दलों को एकजुट करने में क्यों जुटी कांग्रेस?