डीएनए हिंदी: कांग्रेस (Congress) मतलब गांधी परिवार (Gandhi Family). कांग्रेस के विरोधी नेताओं के आरोपों की अगर समीक्षा की जाए तो यह आरोप गलत नहीं साबित होगा. कांग्रेसी नेताओं की आस्था, गांधी परिवार के प्रति ही है. यही वजह है कि जब शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी पेश की तो उनके राज्य में ही पुराने कांग्रेसी नेता इस फैसले के साथ खड़े नजर नहीं आए.
केरल कांग्रेस सांसद शशि थरूर का कांग्रेस का अध्यक्ष चुनाव लड़ने का निर्णय केरल में पार्टी नेताओं को रास नहीं आ रहा है. पार्टी के एक सीनियर नेता ने दावा किया है कि यह शशि थरूर का व्यक्तिगत निर्णय है. एक दूसरे नेता ने कहा है कि गांधी परिवार जिसे समर्थन देगा, उसे ही अध्यक्ष चुना जाएगा. एक अन्य नेता भी यह कहा है कि कांग्रेस की स्टेट यूनिट वोटिंग के जरिए फैसला करेगी कि किसे अध्यक्ष बनाया जाए.
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केरल के दो कांग्रेस सासंदों ने शशि थरूर से अलग रुख जताया है. कोडिकुन्निल सुरेश और के मुरलीधरन ने इशारों-इशारों में यह साफ कर दिया है कि वह शशि थरूर के इस कदम से खुश नहीं हैं.
क्या है केरल के कांग्रेस सांसदों का रुख?
दोनों सांसदों ने यह भी साफ किया है कि स्टेट यूनिट चाहती है कि अध्यक्ष पद राहुल गांधी ही संभालें. कोडिकुन्निल सुरेश ने मंगलवार को कहा है कि अगर राहुल गांधी पद संभालने के इच्छुक नहीं हैं तो AICC की ओर से चुने गए व्यक्ति को ही पद संभालना चाहिए. यह केरल कांग्रेस कमेटी और हम भी की इच्छा है.
सुरेश कोडिकु्न्निल सात बार के लोकसभा सदस्य हैं. सुरेश ने कहा कि जहां तक शशि थरूर की उम्मीदवारी का सवाल है तो चुनाव लड़ने का फैसला उन्होंने खुद लिया है. अभी यह साफ नहीं है कि उन्होंने इस संबंध में पार्टी स्तर पर कोई विचार-विमर्श किया है या नहीं. उन्होंने कहा कि इसलिए पार्टी अध्यक्ष चुनाव में शशि थरूर की दावेदारी को 'गंभीर मुकाबले' के तौर पर नहीं देखा जा रहा है.
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राहुल गांधी के नाम पर ही बन रही है आम सहमति
पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश ने कहा कि जहां तक पार्टी का संबंध है, एक ऐसे व्यक्ति का चुनाव जरूरी है जिस पर पार्टी के अधिकांश नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मुहर लगाई हो. कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए वोटिंग ही साफ करेगी कि किसे सत्ता सौंपी जा सकती है. जिसे सबसे ज्यादा वोट मिलेंगे वही कांग्रेस अध्यक्ष होगा. सुरेश कोडिकुन्निल मवेलिकारा लोकसभा क्षेत्र से आते हैं. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि थरूर के चुनाव से पार्टी में कोई संकट पैदा नहीं होगा.
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गांधी परिवार के इर्द-गिर्द घूम रही है कांग्रेस की सत्ता
कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेता और वडकारा से सांसद मुरलीधरन ने कहा कि प्रदेश कांग्रेस यूनिट केवल उन्हीं को वोट देगी जो नेहरू परिवार की प्रमुखता को मानते हैं. मुरलीधरन की भी मांग है कि कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष राहुल गांधी ही बनें. केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष ने कहा है कि नेहरू को मानने वाले लोग नहीं चाहते हैं कि किसी भी कीमत पर कोई और पार्टी अध्यक्ष की कमान संभाले. राहुल गांधी अगर अध्यक्ष पद संभालें तो कोई विरोध नहीं करेगा लेकिन यह उन पर निर्भर है कि वह इस पद को स्वीकार करते हैं या नहीं.
शशि थरूर बनाम अशोक गहलोत, किसकी दावेदारी मजबूत?
दो दशकों तक कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद को लेकर कोई कन्फ्यूजन सामने नहीं आई थी. अब कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है. अब तक गांधी परिवार की इच्छा ही पर्याप्त होती थी, जिसे वे चाहें अध्यक्ष बना दें. अब अशोक गहलोत और शशि थरूर में टकराव हो सकता है. अशोक गहलोत पर गांधी परिवार मेहरबान है वहीं शशि थरूर अध्यक्ष पद के लिए अपनी स्वतंत्र दावेदारी पेश कर रहे हैं.
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शशि थरूर और सोनिया गांधी की मुलाकात के बाद ऐसे आसार लग रहे हैं कि वह चुनाव लड़ेंगे. शशि थरूर जी-23 नेताओं के गुट में शामिल रहे हैं. उन्होंने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे गए एक पत्र में कहा था कि पार्टी को संगठनात्मक सुधार की जरूरत है. शशि थरूर रचनात्मक सुधारों की मांग भी कर चुके हैं.
सोनिया गांधी किसका देंगी साथ?
सोनिया गांधी ने कहा है कि वह अध्यक्ष पद के लिए हो रहे चुनाव में निष्पक्ष रहेंगी. शशि थरूर से सोनिया गांधी की मुलाकात को यह भी माना जा रहा है कि उन्होंने ही चुनाव लड़ने की इजाजत दी है. ऐसे में शशि थरूर आने वाले कुछ दिनों में अपनी दावेदारी पेश कर सकते हैं.
कौन है शशि थरूर के सामने सबसे बड़ी चुनौती?
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बारे में कहा जा रहा है कि वह गांधी परिवार की पहली पसंद हैं और अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार हैं. अशको गहलोत पुराने वफादार की तरह यह नकारते रहे हैं कि वह कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालेंगे. वह चाहते हैं कि कांग्रेस का चेहरा राहुल गांधी ही रहें. वह राहुल गांधी को चुनाव लड़ने के लिए मना रहे हैं.
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आने वाले चुनाव निश्चित तौर पर ऐतिहासिक होने वाले हैं. कांग्रेस के नए अध्यक्ष सोनिया गांधी की जगह पद संभालेगा. सोनिया गांधी एक अरसे से पार्टी की अध्यक्ष बनी हुई हैं. वह लगातार 1998 से ही सत्ता की सर्वोच्च इकाई बनी हुई हैं. 2017 से लेकर 2019 तक के कार्यकाल को छोड़ दिया जाए तो सोनिया गांधी ही सत्ता संभाल रही हैं. कांग्रेस में आखिरी बार नवंबर 2000 में पार्टी अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी देखने को मिली थी जब जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के सामने चुनाव लड़ा था. वह चुनाव हार गए थे. सीताराम केसरी ने साल 1997 में शरद पवार और राजेश पायलट को शिकस्त दी थी.
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