डीएनए हिंदी: भारत और चीन एक बार फिर आमने-सामने हैं. चीन ने अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों का नाम बदलने का ऐलान कर दिया है. इसमें से एक जगह तो अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर के बिल्कुल पास में है. भारत ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि अरुणाचल भारत का अभिन्न अंग है और इन कोशिशों से हकीकत बदल नहीं जाएगी. इस मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरते हुए कांग्रेस पार्टी ने कहा है कि यह सब पीएम मोदी की ओर से दी गई 'क्लीनचिट' का नतीजा है कि चीन ऐसी हरकतें कर रहा है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने इसे सिरे से खारिज करते हुए कहा कि मनगढंत नाम रखने से हकीकत बदल नहीं जाएगी. बागची ने कहा, 'हमने ऐसी खबरें देखी हैं. यह पहली बार नहीं है, जब चीन ने ऐसा प्रयास किया है. हम इसे सिरे से खारिज करते हैं. अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का अभिन्न और अटूट हिस्सा था, है और रहेगा. गढ़े गए नाम रखने से यह हकीकत बदल नहीं जाएगी. 

अरुणचाल को अपना हिस्सा बताता है चीन
गौरतलब है कि हाल में चीन ने अरुणाचल प्रदेश के लिए 'चीनी, तिब्बती और पिनयिन' लिपियों में नामों की तीसरी सूची जारी की है. चीन के नागरिक मामलों के मंत्रालय ने रविवार को अरुणाचल प्रदेश के लिए 11 स्थानों नाम जारी किए, जिसे वह स्टेट काउंसिल, चीन की कैबिनेट द्वारा जारी भौगोलिक नामों पर नियमों के अनुसार तिब्बत का दक्षिणी भाग ज़ंगनान बताता है.

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चीन की सरकार द्वारा संचालित 'ग्लोबल टाइम्स' ने सोमवार को अपनी एक खबर में कहा कि रविवार को 11 स्थानों के आधिकारिक नाम जारी किए, जिनमें दो भूमि क्षेत्रों, दो आवासीय क्षेत्रों, पांच पर्वत चोटियों और दो नदियों सहित उनके सटीक निर्देशांक भी दिए गए हैं. इसके अलावा, स्थानों के नाम और उनके अधीनस्थ प्रशासनिक जिलों की श्रेणी सूचीबद्ध की गई है. 

'PM की क्लीनचिट का नतीजा'
इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्विटर पर कहा, 'यह जून 2020 में पीएम मोदी द्वारा चीन को दी गई क्लीन चिट की कीमत है. लगभग तीन साल बाद चीनी सेना हमारे गश्ती दल को डेपसांग मैदानों तक जाने से रोक रही है, जहां तक हमारी पहले पहुंच थी और अब चीन अरुणाचल प्रदेश में हमारी स्थिति को कमजोर करने का प्रयास कर रहा है.'

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उन्होंने कहा कि एक शीर्ष चीनी राजनयिक ने हाल ही में दावा किया था कि भारत-चीन सीमा की स्थिति अब स्थिर है लेकिन चीन के उकसावे और अतिक्रमण जारी हैं इसने अब अरुणाचल प्रदेश में स्थानों के लिए चीनी नामों का तीसरा सेट जारी किया है, ऐसा पहले 2017 और 2021 में किया था. जयराम ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा भारत का अभिन्न और अविभाजित हिस्सा रहा है और रहेगा.

6 सालों में तीसरी बार जारी की गई लिस्ट
चीनी मंत्रालय द्वारा अरुणाचल प्रदेश के लिए जारी मानकीकृत भौगोलिक नामों की यह तीसरी सूची है. अरुणाचल में छह स्थानों के मानकीकृत नामों की पहली सूची 2017 में जारी की गई थी और 15 स्थानों की दूसरी सूची 2021 में जारी की गई थी. चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के कुछ स्थानों का पुन: नामकरण ऐसे समय में किया है, जब पूर्वी लद्दाख में मई 2020 में दोनों देशों के बीच शुरू गतिरोध अभी तक समाप्त नहीं हुआ है. पिछले महीने ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर स्थिति अभी भी काफी गंभीर बनी हुई है, जो कई स्थानों पर दोनों देशों की सीमा पर सैनिकों की काफी करीब तैनाती के कारण भी है.

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अरुणाचल प्रदेश में जगहों के नाम बदलने लगा चीन? जानिए भारत में किसने क्या कहा
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अरुणाचल प्रदेश में जगहों के नाम बदलने लगा चीन? जानिए भारत में किसने क्या कहा