डीएनए हिंदी: व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक (Personal Data Protection) जिसे 2019 में लाया गया था और विपक्ष द्वारा लगातार सरकार पर हमला बोला जा रहा था. इस विधेयक को 81 संसोधनों के बाद वापस ले लिया गया है. व्यक्तिगत डाटा संरक्षण विधेयक 2019 की बात करें तो इसमें य़ह विनियमित करने की मांग की गई थी कि कंपनियों और सरकार द्वारा किसी व्यक्ति के डाटा का उपयोग किस तरह किया जा सकता हैं.
विपक्षी दलों के विरोध के बाद इसे एक संयुक्त संसदीय समीति (JPC) के पास गया था. समिति द्वारा 81 संसोधोनों का प्रस्ताव दिया गया फिर सरकार ने इस विधेयक को वापस ले लिया है. वहीं अब माना जा रहा है कि इस विवादित विधेयक को वापस लेने के बाद अब नया विधेयक लाया जा सकता है.
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नए कानून पर काम कर रही सरकार
सरकारी सूत्रों के अनुसार संयुक्त संसदीय समीति के रिपोर्ट पर विचार करते हुए एक व्यापक कानूनी ढ़ाँचों पर काम किया जा रहा हैं. इससे नए कानूनी विधेयक का मार्ग प्रशस्त हो सके. विपक्षी दलों कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के विरोध के बाद इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समीति के पास भेजा गया था. विपक्ष ने आरोप लगाया था कि य़ह विधेयक गोपनीयता के मौलिक अधिकारों का उल्लघंन करता है. इसमें 81 संसोधनों का प्रस्ताव आया था.
डिजिटल कंपनियों ने भी किया था विरोध
विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि इस कानून से लोगों की निजी जानकारी सरकार तक पहुंच जाएगी और सरकार इसका दुरुपयोग भी कर सकती है. फेसबुक और गूगल जैसी कंपनियां भी इस कानून के खिलाफ थीं. उनको डर था कि इस कानून के कारण अन्य़ देशों पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा और बाकी देश भी स्थानीयकरण की नीति लाने लगेंगे.
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केंद्र सरकार ने वापस लिया डाटा प्रोटेक्शन बिल, JPC ने भेजा था 81 संशोधनों का प्रस्ताव