डीएनए हिंदी: उत्तराखंड (Uttarakhand) का पवित्र शहर जोशीमठ (Joshimath) डूब रहा है. यह शहर अंतिम सांसे ले रहा है. इस शहर की तबाही रोकनी बेहद मुश्किल है. यहां हर दिन जमीन धंस रही है. भू-धंसाव से त्रस्त शंकराचार्य की तपस्थलि में घर ढह रहे हैं. जमीनों से पानी निकल रहा है. लोगों को शहर से बाहर निकाला जा रहा है. हर आने वाला दिन, इस शहर को और तबाह कर रहा है.

उत्तराखंड सरकार जोशीमठ को बचाने की जगह लोगों को जोशीमठ से बाहर निकालने पर ध्यान दे रही है. यह अब खंडहरों का शहर है.जोशीमठ में जमीन धंसने से अब तक 723 घरों में दरारें आ चुकी हैं. इनमें से 81 घरों को खतरनाक घोषित किया गया है और उनकी दीवारों को रेड क्रॉस से चिह्नित किया गया है. 

जोशीमठ में कई जगहों पर सड़कें भी धंस चुकी हैं और जमीन के नीचे से लगातार पानी निकल रहा है. आक्रोशित स्थानीय लोग धरने पर बैठे हैं. प्रशासन ने होटलों को गिराने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ अधिकारी ही उतर आए. उत्तराखंड सरकार ने दो होटलों पर बुलडोजर चलाने का फैसला लिया था, जिसे वापस लेना पड़ा.

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जैसे बद्रीनाथ जीर्णोद्धार मास्टर प्लान की ओर से विस्थापितों के लिए मुआवजा प्रस्तावित है, वैसे ही यहां के लोग मुआवजे की मांग कर रहे हैं. एक बड़ा सवाल यह है कि क्या यह शहर बच पाएगा या नहीं. सच्चाई तल्ख है लेकिन सच है कि इस शहर को अब बचाया नहीं जा सकता है.

अब जोशीमठ में नहीं तोड़ा जाएगा मकान

उत्तराखंड सरकार ने फैसला किया है कि जोशीमठ में कोई मकान नहीं तोड़ा जाएगा. सिर्फ दो होटलों को तोड़ा जाएगा, वह भी बिना बुलडोजर चलाए हाथ से. जोशीमठ में भू-धंसाव से प्रभावित परिवारों को 1.5 लाख रुपये की अंतरिम राहत देने की घोषणा की गई है. लोग सरकार के वादों पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं. अधिकारियों का कहना है कि कस्बे की 723 इमारतों में दरारें आ चुकी हैं और अब तक 145 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है.

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अब जोशीमठ को बचाना नामुमकिन!

हैरानी की बात यह है कि जोशीमठ के वैज्ञानिक और विशेषज्ञ अभी तक पहाड़ से बहते पानी के स्रोत का पता नहीं लगा पाए हैं, लेकिन स्थानीय लोगों को असली कारण पता है, जिसे सरकार मानने को तैयार नहीं है. जोशीमठ विकास परियोजनाओं की कीमत चुका रहा है. सच्चाई कड़वी है, लेकिन सच यही है कि जोशीमठ अब नहीं बचेगा. 

सरकार लोगों के गुस्से से बचने की कोशिश की जा रही है. अब नया जोशीमठ बसाया जा सकता है लेकिन इस शहर को फिर से आबाद नहीं किया जा सकता है. इतने व्यापक स्तर पर भू-धंसाव रोकने की कोई तकनीक अभी तक विकसित नहीं हुई है. यह शहर अब एक खंडहर है. जोशीमठ की इतनी सी सच्चाई है.

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Can Joshimath still be saved what experts are saying in Uttarakhand Sinking Land Subsidence Crisis
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क्या जोशीमठ में रुक सकती है तबाही, कैसे बचेगी आदि शंकराचार्य की तपस्थलि? समझिए
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तबाही की कगार पर पहुंचा जोशीमठ (तस्वीर-PTI)
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तबाही की कगार पर पहुंचा जोशीमठ (तस्वीर-PTI)

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क्या जोशीमठ में रुक सकती है तबाही, कैसे बचेगी आदि शंकराचार्य की तपस्थलि? समझिए