RSS-BJP News: क्या बीजेपी और RSS की राहें अब जुदा हो गई हैं. ये सवाल संघ के उस बयान के बाद से उठने लगे हैं, जिसमें कहा गया है कि BJP को RSS की जरूरत नहीं है. सोमवार को RSS की तरफ से इस संदर्भ में एक बयान जारी किया गया. इसको लेकर संघ के प्रचारक सुनिल आंबेकर ने कहा है कि भाजपा और संघ के बीच कुछ ‘मुद्दे’ हैं. लेकिन इसे उन्होंने ‘पारिवारिक मामला’ बताकर दरकिनार कर दिया, जिसे बातचीत के जरिए सुलझा लिया जाएगा. उन्होंने भाजपा और संघ के बीच समन्वय की कमी के बारे में पूछे जाने पर कहा, 'RSS 100 साल पूरे कर रहा है. यह एक लंबी यात्रा है. लंबी यात्रा में कामकाज से जुड़े मुद्दे सामने आते हैं. हमारे पास उन कामकाज से जुड़े मुद्दों को दूर करने के लिए बातचीत का एक रास्ता है.'
बैठक में समन्वय के मुद्दों पर चर्चा
आगे उन्होंने कहा, 'हमारी औपचारिक और अनौपचारिक बैठकें होती रहती हैं. आप 100 साल का इतिहास देख सकते हैं, यही इन सभी सवालों का जवाब है.' सुनील आंबेकर केरल के पलक्कड़ में आयोजित आरएसएस की तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक के आखिरी दिन मीडिया को संबोधित कर रहे थे. आंबेकर ने ये भी संकेत दिए कि बैठक में समन्वय के मुद्दों और हाल के लोकसभा चुनावों के दौरान आरएसएस कैडर के उत्साह की कमी पर चर्चा की गई. उन्होंने ये सारी बातें भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा की तरफ से पार्टी के 'आत्मनिर्भर' होने वाले बयान को लेकर कही हैं.
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पहली बार मतभेद को स्वीकारा गया
आंबेकर ने कहा, 'यह एक पारिवारिक मामला है. इसको लेकर तीन दिवसीय बैठक हुई है और दोनों पक्षों ने भाग लिया है. सब कुछ ठीक चल रहा है.' इस मद्दे पर बोलते हुए आंबेकर की ओर से एक बार भी दोनों संगठनों के बीच कथित समन्वय की कमी से इनकार नहीं किया. आपको बताते चलें कि ये पहली बार है जब संघ ने खुले तौर पर दोनों संगठनों के बीच मतभेद होने की बात स्वीकार की है.
आंबेकर ने कह, 'RSS नेता ने तर्क दिया कि यह महत्वपूर्ण है कि जहां तक उनके मूल विश्वासों और लक्ष्यों का सवाल है, भाजपा और आरएसएस दोनों एक ही पन्रे पर हों. लंबी यात्राओं में, एक बात हमेशा सुनिश्चित होती है. RSS का मतलब राष्ट्र सर्वोपरि (राष्ट्र पहले). हर स्वयंसेवक का मानना है कि राष्ट्र सनातन है, यह शाश्वत है. भविष्य में इसमें उत्थान की क्षमता है. यह RSS का मूल आधार है और बाकी चीजें केवल कार्यात्मक मुद्दे हैं.
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'BJP को नहीं है RSS की जरूरत..' 'टेंशन' के बीच संघ ने क्यों कही ये बात?