डीएनए हिंदी: बिहार में शिक्षक नियुक्ति के मामले में आज यानी 9 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में बड़ी सुनवाई होगी. सर्वोच्च न्यायालय बिहार सरकार की अर्जी पर सुनवाई करेगी. राज्य में 1 लाख 70 हजार शिक्षकों का भविष्य दांव पर लगा है. जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमएम सुंदरेश की बेंच मामले की सुनवाई करेगी. दरअसल, इस भर्ती प्रक्रिया में बीएड डिग्री धारकों को शामिल किए जाने का विवाद है.
दरअसल, बिहार में हाल में भारी 1 लाख 70 हजार प्राइमरी टीचर्स की भर्ती निकली थी. जिसके लिए भारी तादाद में लोग शामिल हुए थे. इसमें 3 लाख 90 हजार बीएड पास कैंडिडेट्स ने भी परीक्षा दी थी, लेकिन बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने करीब दो सप्ताह पहले बीएड कैंडिडेट्स का रिजल्ट यह कहते हुए रोक दिया कि वह इस परीक्षा के लिए योग्य नहीं है.
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बीपीएससी ने क्यों लिया ये फैसला?
BPSC ने कहा कि सिर्फ डीएलएड पास उम्मीदवारों का रिजल्ट घोषित किया जाएगा. बीपीएससी ने ये फैसला सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण लिया. सर्वोच्च अदालत ने हाल ही में राजस्थान में शिक्षक बहाली के मामले में फैसला सुनाते हुए प्राइमरी टीचर के लिए B.Ed की योग्यता को समाप्त कर दिया. कोर्ट ने कहा कि प्राइमरी टीचर के लिए बीटीसी या डीएलएड डिग्री धारक उम्मीदवार ही पात्र माने जाएंगे.
बीटीएससी के इस फैसले को बिहार सरकार ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. जिसमें कहा गया था कि बीएड उम्मीदवारों को प्राइमरी टीचर नहीं बनाने का फैसला बिहार के संबंध में नहीं है. बिहार सरकार ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह स्पष्ट नहीं हो रहा है कि यह आदेश बिहार पर लागू होगा या नहीं. इसके बाद 22 सितंबर को बिहार हाईकोर्ट ने सरकार की दलील को खारिज कर दिया था. सरकार ने अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है और इस भर्ती में बीएड वालों को भी योग्य बनाने की मांग की है.
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बिहार में 1.70 लाख शिक्षकों को मिलेगी नियुक्ति या होगी रद्द? सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई