डीएनए हिंदी: कांग्रेस नेता राहुल गांधी का देशव्यापी मार्च, भारत जोड़ो यात्रा कश्मीर में जाकर खत्म हो गया. 140 से ज्यादा दिनों में राहुल गांधी समेत दिग्गज कांग्रेस नेताओं ने 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों की यात्रा की. कांग्रेस का यह महत्वाकांक्षी अभियान सोमवार को जम्मू और कश्मीर में जाकर खत्म हो गया. भारत जोड़ो यात्रा पर विपक्ष ने तंज कसा था कि यह राहुल गांधी की छवि सुधारने के लिए शुरू की गई यात्रा है. सितंबर 2022 से शुरू यह यात्रा, कांग्रेस के लिए बेहद खास रही. 4,000 से ज्यादा दूर की पैदल यात्रा में कांग्रेस ने अपने खोए जनाधार को पाने की कोशिश की है.
विपक्ष का एक धड़ा कह रहा है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांदी ने कश्मीर में क्वालिटी टाइम बिताया है. यह राजनीतिक यात्रा कम, टूर ज्यादा रहा है. विपक्ष के आरोप-प्रत्यारोप से परे, राहुल गांधी ने कश्मीर घाटी के सियासी समीकरणों को सुधारने की कोशिश की है. राहुल गांधी ने एक बार फिर UPA के सहयोगी दलों को एकजुट करने की कोशिश की है.
कांग्रेस के महत्वाकांक्षी मार्च- भारत जोड़ो यात्रा के आखिरी पड़ाव में राहुल गांधी श्रीनगर पहुंचे, जहां वह अपनी बहन प्रियंका गांधी के साथ 'स्नोबॉल फाइट' करते नजर आए. इन तस्वीरों को लेकर लोग सवाल खड़े कर रहे हैं कि वे कश्मीर की समस्या सुलझाने गए थे, या कश्मीर को समझने. कश्मीर का मतलब सिर्फ स्नोबॉल फाइटिंग नहीं है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कई मौकों पर जम्मू-कश्मीर में धारा 370 को हटाने के बीजेपी के फैसले पर सवाल उठाया है. उन्होंने दावा किया है कि केंद्र शासित प्रदेश के विशेष दर्जे को खत्म करने से जम्मू-कश्मीर की हालत खराब हो गई है.
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बदल रहा है कश्मीर लेकिन केंद्र सरकार पर फूट रहा राहुल का गुस्सा
कश्मीर के लाल चौक के घंटाघर पर राहुल गांधी ने तिरंगा फहराया है. आमतौर पर बेहद संवेदनशील इलाके में राहुल गांधी और कार्यकर्ता निश्चिंत नजर आए. कहा जाता था कि लाल चौक पर तिरंगा आजादी के इतने सालों बाद भी नहीं फहराया जा सकता है. राहुल गांधी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बिना किसी डर के तिरंगा फहराया.
वह कश्मीर घाटी में बेझिझक चल रहे थे. यह वही घाटी है, जहां आतंकी घटनाएं बेहद आम हैं. आतंकियों ने कश्मीर घाटी की रौनक फीकी कर दी थी. अब आलम यह है कि सबकुछ बदल गया है. जहां जाना मुश्किल है, वहां मार्च निकाल कर रहे हैं. राहुल गांधी यह भी कहते हैं कि अनुच्छेद 370 को रद्द करना गलत था. इस अनुच्छेद के रद्द होने से कश्मीर में सुधार ही हुए हैं. कश्मीर में डर का माहौल खत्म हो रहा है और घाटी में शांति बहाल हो रही है.
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राहुल गांधी की यात्रा का हासिल क्या?
राहुल गांधी ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक साधने की कोशिश की है. उन्होंने 21 दलों को श्रीनगर में बुलाया था, खराब मौसम की वजह से ज्यादा लोग आ नहीं सके. कश्मीर के स्थानीय नेता इस यात्रा में शामिल रहे. पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस के चीफ फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला भी इस यात्रा में नजर आए. उन्होंने विपक्षी एकजुटता निभाने की कोशिश की लेकिन विपक्ष ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया है. कांग्रेस का जनाधार इस यात्रा के बाद बढ़ गया है, यह कहना भी राजनीति के जानकार जल्दबाजी मानते हैं. कांग्रेस को जमीन पर अभी स्थिति और मजबूत करने की जरूरत है.
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भारत जोड़ो यात्रा: 146 दिन के सफर में कांग्रेस को क्या मिला, क्यों अनुच्छेद 370 पर खटक रहा राहुल गांधी का रुख?