डीएनए हिंदी: कर्नाटक चुनाव के नतीजे आते ही विपक्षी पार्टियां सुपर ऐक्टिव हो गई हैं. कांग्रेस ने अपने शपथ ग्रहण में कई विपक्षी नेताओं को बुलाया. फिर नीतीश कुमार ने दिल्ली में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की. अब आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, एनसीपी चीफ शरद पवार और उद्धव ठाकरे से मुलाकात करने वाले हैं. एक तरफ दिल्ली के अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए लाया गया अध्यादेश है तो दूसरी तरफ 2024 का लोकसभा चुनाव, अरविंद केजरीवाल को अब शायद यह एहसास हो रहा है कि इस लड़ाई में उनका सबके साथ चलना जरूरी है.
इससे पहले सोमवार को बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव से मुलाकात की. नीतीश कुमार ने अध्यादेश का विरोध किया और अरविंद केजरीवाल के साथ खड़े होने का ऐलान किया. इस पर अरविंद केजरीवाल ने भी कहा कि वह चाहते हैं कि सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट हों और इस अध्यादेश को राज्यसभा से पास ही न होने दें. कहा जा रहा है कि इस अध्यादेश को रोकने के बहाने ही विपक्ष की एकता की ताकत मापने की भी कोशिश की जाने की तैयारी है.
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आज से देश भर में निकल रहा हूँ। दिल्ली के लोगों के हक़ के लिए। SC ने बरसों बाद आदेश पारित करके दिल्ली के लोगों के साथ न्याय किया, उन्हें उनके हक़ दिये। केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर वो सारे हक़ वापिस छीन लिये
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) May 23, 2023
जब ये क़ानून राज्य सभा में आएगा तो इसे किसी हालत में पास नहीं होने…
तीसरा मोर्चा चाहते हैं केजरीवाल और ममता?
सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार कांग्रेस के साथ ही गठबंधन बनाना चाहते हैं. वहीं, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव गैर-कांग्रेसी गठबंधन बनाने का ऐलान कर चुके हैं. शायद यही वजह रही कि कांग्रेस की ओर से न्योता मिलने के बावजूद ममता बनर्जी सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण में नहीं गईं. केजरीवाल भी कांग्रेस के साथ बहुत सहज नहीं रहते हैं और कांग्रेस भी उनके लिए जगह नहीं छोड़ना चाहती है.
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ऐसे में कयास लग रहे हैं कि अगर कांग्रेस अरविंद केजरीवाल के साथ चलने के तैयार नहीं होती है तो उस स्थिति के लिए केजरीवाल खुद को मजबूत रखना चाहते हैं. फिलहाल, अरविंद केजरीवाल तमाम विपक्षी नेताओं से मिलकर यह कोशिश कर रहे हैं कि अध्यादेश के विरोध में सभी विपक्षी दल एकजुट हों और इसे राज्यसभा से पास न होने दें.
कांग्रेस पर दबाव बनाने की कोशिश?
एक कोशिश यह भी है कि सभी क्षेत्रीय पार्टियां एकजुट होकर कांग्रेस पर दबाव डालें. यह दबाव वही होगा जो ममता बनर्जी कह चुकी हैं. ममता बनर्जी का कहना है कि कांग्रेस उन जगहों पर चुनाव न लड़े जहां क्षेत्रीय दल मजबूत हैं. इस स्थिति में कांग्रेस सिर्फ 200 से 250 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और उसपर ज्यादा सीटें जीतने का दबाव भी होगा.
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सपा, टीएमसी, एनसीपी, आरजेडी, जेडीयू और AAP जैसी पार्टियां इस कोशिश में हैं कि कांग्रेस उनके लिए जगह छोड़े और उन जगहों पर मजबूती से चुनाव लड़े जहां उसका सीधा मुकाबला बीजेपी से है. कांग्रेस को डर इस बात का है कि ऐसा करने से आधे से ज्यादा लोकसभा क्षेत्रों से तो वह खुद-ब-खुद गायब हो जाएगी और उसे वही करना होगा जो क्षेत्रीय दल चाहेंगे.
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